Sunday, December 23, 2018

CBSE Board Exam Date Sheet -Class 12

Class 12 कक्षा १२ >>>> ----------- ----------- ---------

Some changes are in the date sheet ,so please check the following for new update as released by Board on 11/1/2019:


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Class 10 CBSE Board Exam 2018-19 Date Sheet

कक्षा १०; =============== ===================================

CBSE exam 2019 Date Sheet Class 10 & 12

जो छात्र 'सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन' (सीबीएसई) की बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं  उनके लिए यह सूचना है ,CBSE ने सत्र 2018-19 के लिए 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की तिथि घोषित कर दी है ,कक्षा 10 की परीक्षा 21 फरवरी 2019 से मार्च 29, 2019 तक होंगी । कक्षा 12 की परीक्षा 15 फरवरी 2019 से  तीन अप्रैल 2019 तक होंगे ।

Class 10 Hindi (A & B ) on 19th March 2019....................... .....Class 12 Hindi (C & E) on 9th March 2019

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CBSE की आधिकारिक वेबसाइट  या नीचे दिए लिंक से आप datesheet डाउनलोड कर सकते हैं :
Class 10 CBSE exam date sheet:
https://drive.google.com/file/d/1iU-FaHwmHeNH_0s5Gi-eGRUfQRbVWPxl/view?usp=sharing
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Class 12  CBSE exam date sheet:

Changed dates for few exams ,check the following picture:-

https://drive.google.com/file/d/1gSS0CpjwcjNgdiiy1lAc3VO_YSNo5W7u/view?usp=sharing
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Best wishes!

Wednesday, December 5, 2018

Nasha Q Ans

       
Rajasthan Board  Class 11 Hindi अपरा Chapter 13 नशा


RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 13 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न.1.
अब दशहरे की छुट्टियों में ईश्वरी का मित्र घर क्यों नहीं जाना चाहता था ?
उत्तर:
दशहरे की छुट्टियाँ होने को थीं। ईश्वरी अपने घर जा रहा था। इसका मित्र अपने घर नहीं जाना चाहता था। उसके पास किराये के लिए पैसे नहीं थे। वह घरवालों से अधिक पैसा माँगना नहीं चाहता था। साथ ही परीक्षा का भी ख्याल था। उसको पढ़ाई भी करनी थी। घर जाकर पढ़ाई हो नहीं सकती थी।

प्रश्न. 2.
ईश्वरी ने अपने नौकरों के सामने मित्रे का बढ़ा-चढ़ाकर परिचय क्यों दिया? –
उत्तर:
ईश्वरी ने अपने नौकरों के सामने अपने मित्र का बढ़ा-चढ़ाकर परिचय दिया। वह एक मामूली क्लर्क का बेटा था परन्तु उसको ढाई लाख की रियासत का उत्तराधिकारी बताया। ईश्वरी चाहता था कि उसके नौकर उसके मित्र का सम्मान उसी के समान करें। ऐसा न करने पर वे उसकी उपेक्षा करते। साथ ही इससे ईश्वरी को यह भी डर था कि वे कहेंगे कि उसका दोस्त इतने छोटे घर से है। इसमें उसकी अहंकार प्रदर्शन की भावना भी निहित है।

प्रश्न. 3.
ईश्वरी का मित्र उसकी आलोचना क्यों करता था ?
उत्तर:
ईश्वरी का मित्र कमजोर आर्थिक स्थिति का था। ईश्वरी जमींदार का पुत्र था। ईश्वरी का मित्र उसकी आलोचना करता था। इससे उसको कुछ आत्मतुष्टि मिलती थी तथा अपने छोटेपन से मुक्ति प्राप्त हुई प्रतीत होती थी। उसकी आलोचना किसी सैद्धान्तिक आधार पर नहीं थी। उसकी अपनी स्थिति ही इसका कारण थी।

प्रश्न 4.
प्रेमचन्द की इस कहानी को मूल आशय स्पष्ट कीजिएं?”
उत्तर:
प्रेमचन्द का इस कहानी का आशय यह है कि व्यक्ति जो कहता है वह अपने जीवन में वैसा आचरण नहीं करता ईश्वरी का दोस्त अपने मन को संतोष देने के लिए ईश्वरी की अमीरी की आलोचना करता है। परन्तु जब उसको ईश्वरी के समान जीवन जीने का अवसर मिलता है, तो वह आलोचना की बातें ही भूल जाता है और नौकरों, रेलयात्रियों आदि के साथ अहंकारपूर्ण अमानवीय व्यवहार करता है। कहानी का मूल आशय यह है कि उच्च सिद्धान्तों के अनुसार कहना तथा उनके अनुकूल व्यवहार करना दो भिन्न-भिन्न बातें हैं।

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 13 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न. 1.
ईश्वरी और उसके मित्र की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
ईश्वरी और उनका मित्र साथ-साथ पढ़ते हैं और बोर्डिंग में एक ही कमरे में रहते हैं किन्तु उनकी स्थिति में भिन्नता है। ईश्वरी एक जमींदार का पुत्र था। वह ऐश्वर्यप्रिय था और ठाठबाट से रहता था। वह नौकरों के प्रति कठोर था और काम में लापरवाही तथा देरी उसको बिल्कुल सहन नहीं थी। अमीरों में जो उद्दण्डता और बेदर्दी होती है, वह उसमें भी भरपूर मात्रा में थी। बिस्तर बिछाने में देर होने, साइकिल साफ न होने, दूध अधिक ठंडा या गुरम रहने पर वह नौकरों को डांटता-फटकारता था। वह जमींदारों का पक्ष लेता था परन्तु हारने पर भी कभी गरमें नहीं होता था। वह हमेशा मुस्कराती रहता था। अमीर होकर भी वह बहुत परिश्रमी और बुद्धिमान था।

उसका व्यवहार दोस्तों तथा अन्य लोगों से नम्रतापूर्ण और सौहार्द का होता था। ईश्वरी का मित्र एक गरीब परिवार से था। उसके पिता एक क्लर्क थे। उनका वेतने बहुत कम था। होटल के खानसामों को मिलने वाला इनाम-इकराम उससे ज्यादा होता था। दशहरे की छुट्टियों में पैसे न होने के कारण वह घर नहीं गया था। वह जमींदारों का कटु आलोचक था। उनको खून चूसने वाली जौंक, हिंसक पशु इत्यादि कहता था। वह वाद-विवाद में प्रायः गरम हो जाता था। अमीरों की आलोचना उसकी अपनी स्थिति के कारण थी। वह उनकी आलोचना किसी सिद्धान्त के आधार पर नहीं करता था। उसके कथन और कार्य में भिन्नता थी।

जब वह ईश्वरी के गाँव पहुँचा तो स्वयं को कुँवर साहब ही मान बैठा। अपने इस बनावटी स्वरूप का नशा उस पर ऐसा चढ़ा कि वह मानवीयता औरा सामान्य शिष्टाचार के नियम भी भूल गया। बिस्तर बिछाने और लैम्प जलाने का मामूली काम भी उसने स्वयं नहीं किया। उसने ईश्वरी के नौकर तथा मुंशी रियासत अली को बुरी तरह डाँटा। वह एक गरीब क्लर्क का बेटा है, इस सच्चाई को लोगों को बताने का साहस भी उसमें नहीं हुआ। उसने रेल में एक गरीब सहयात्री के साथ अकारण दुर्व्यवहार किया। उस तरह उसका आचरण व्यवहार दोगलेपन से भरा है।

प्रश्न 2.
गाँव जाते ही ईश्वरी के मित्र के स्वभाव में आएं परिवर्तन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ईश्वरी एक जमींदार का पुत्र था। उसका मित्र एक क्लर्क का बेटा था। दोनों एक स्कूल में पढ़ते थे और बोर्डिंग हाउस के एक ही कमरे में रहते थे। दशहरे की छुट्टियाँ होने पर ईश्वरी ने अपने मित्र को अपने साथ चलने के लिए निमंत्रण दिया। ईश्वरी जमींदारों का समर्थक था और मनुष्यों में छोटा-बड़ा होना प्रकृति या ईश्वरीय नियम मानता था। उसका मित्र जमींदारों को खून चूसने वाली जोंक, हिंसक पशु, पेड़ों के ऊपर फूलने वाला बंझा आदि कहकर उनकी कटु आलोचना करता था। वह वाद-विवाद के समय उग्र भी हो जाता था किन्तु ईश्वरी मुस्कराता रहता था।

मित्र ने ईश्वरी का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। ईश्वरी ने उससे कहा कि वह उसके घरवालों के सामने जमींदारों की बुराई न करे तो उसने कहा कि वह बदल नहीं सकता। गाँव पहुँचने पर ईश्वरी ने अपने नौकरों तथा घर के लोगों से मित्र का परिचय कराया और उसको ढाई लाख की रियासत का उत्तराधिकारी बताया। उसके साधारण लिवास को उसके सादगीपसन्द होने तथा गाँधी जी का भक्त होना बताया। गाँव पहुँचकर ईश्वरी की बातों का मित्र ने विरोध नहीं किया। उसने एक जमींदार-पुत्र की तरह ही व्यवहार करना शुरू कर दिया। नाई से चुपचाप पैर दबवा लिए भोजन के लिए, जाने पर पैर भी धुला लिए। उसने अपने हाथों अपना बिस्तर नहीं बिछाया और देर से आने पर नौकर को डाँटा।

पास में लैम्प और माचिस रखे होने पर भी, अँधेरा होने पर उसने लैम्प नहीं जलाया। संयोग से मुंशी रियासत अली आ पहुँचे तो उनको बुरी तरह डाँटा-फटकारा। इतना ही नहीं उसने वापसी रेलयात्रा में एक गरीब मुसाफिर को धक्का दिया और चाँटे भी मारे। ईश्वरी के मित्र पर अपने बनावटी रूप का नशा इस कदर चढ़ा कि वह स्वयं को जमींदार का पुत्र ही समझने लगा और अपने विचारों को भूलकर वैसा ही अमानवीय आचरण करने लगा।
RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 13 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रेमचन्द के साहित्य पर प्रभाव है –
(क) गाँधीवाद
(ख) नेहरूवाद
(ग) समाजवाद
(घ) साम्यवाद
उत्तर:
(क) गाँधीवाद

प्रश्न 2.
प्रेमचंद की लिखी हुई कहानियाँ है –
(क) लगभग 200
(ख) लगभग 400
(ग) लगभग 300
(घ) लगभग 500
उत्तर:
(ग) लगभग 300

प्रश्न 3.
ईश्वरी के मित्र को नशा है –
(क) शराब का
(ख) अपने नकली कुँवर बनने का
(ग) भाँग का
(घ) ईश्वरी का मेहमान होने का
उत्तर:
(ख) अपने नकली कुँवर बनने का

प्रश्न 4.
ईश्वरी के मित्र का लोकप्रेम आधारित था –
(क) सिद्धान्त पर
(ख) गहन अध्ययन पर
(ग) सच्चे प्रेम पर
(घ) निजी दशा पर
उत्तर:
(घ) निजी दशा पर

प्रश्न 5.
रेलगाड़ी में पहले दर्जा नहीं होता था –
(क) फर्स्ट क्लास
(ख) सेकेण्ड क्लास
(ग) इण्टर क्लास
(घ) स्लीपर क्लास
उत्तर:
(घ) स्लीपर क्लास

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 13 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रेमचंद ने किन पत्रिकाओं का सम्पादन किया था?
उत्तर:
प्रेमचंद ने मर्यादा, माधुरी, हंस, जागरण आदि पत्रिकाओं को सम्पादन किया था।

प्रश्न. 2.
प्रेमचन्द के साहित्य में किसके प्रति सहानुभूति व्यक्त हुई है?
उत्तर:
प्रेमचन्द के साहित्य में दलित वर्ग अर्थात् किसानों-मजदूरों एवं उपेक्षित महिलाओं के प्रति उनकी सहानुभूति व्यक्त हुई है।

प्रश्न. 3.
प्रेमचन्द का साहित्य के उद्देश्य के बारे में क्या कहना है ?
उत्तर:
प्रेमचन्द का कहना है कि साहित्य को समाज का मार्ग-दर्शक होना चाहिए। वह तत्कालीन राजनैतिक तथा सामाजिक विचारधारा में प्रगतिशीलता का पक्षधर है।

प्रश्न. 4.
‘नशा’ कहानी में किस बात पर व्यंग्य किया गया है?
उत्तर:
‘नशा’ कहानी में कथनी और करनी के अन्तर पर व्यंग्य किया गया है।

प्रश्न. 5.
मित्र के अनुसार ईश्वरी की लचर दलीलें क्या थीं ?
उत्तर:
सभी मनुष्य बराबर नहीं होते, छोटे-बड़े हमेशा होते रहे हैं और होते रहेंगे-इत्यादि ईश्वरी की लचर दलीलें थीं।

प्रश्न 6.
‘बोर्डिंग हाउस में भूत की तरह पड़े रहने’ से मित्र का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
दशहरे के अवकाश पर सब घर जा रहे थे। वह अपने घर जाना नहीं चाहता था। ऐसी दशा में वह बोर्डिंग हाउस में अकेला ही रह जाता।

प्रश्न 7.
खानसामों को पारखी क्यों कहा गया है? उत्तर-खानसामों के अपने ग्राहकों की परख थी। वे जान लेते थे कि बिल चुकाने वाला कौन है तथा उसके पिछलगू कौन है।

प्रश्न 8.
‘गाड़ी चली डाक की’-कहने का क्या आशय है ?
उत्तर:
आशय यह है कि जिस गाड़ी से वे यात्रा कर रहे थे, वह तेज गति से चलने वाली गाड़ी थी, हर स्टेशन पर नहीं रुकती थी।

प्रश्न 9.
मित्र के सादे लिवास के बारे में रियासत अली की अर्ध शंका को ईश्वरी ने क्या कहकर दूर किया ?
उत्तर:
ईश्वरी ने कहा कि ये महात्मा गाँधी के भक्त हैं। खद्दर के सिवा कुछ पहनते ही नहीं। पुराने सभी कपड़े जला चुके हैं।

प्रश्न 10.
उसके प्रत्येक वाक्य के साथ मन में उसे कल्पित वैभव के समीपतर आता जाता था।’ वाक्य से मित्र की किस मनोदशा का पता चलता है ?
उत्तर:
इस वाक्य से पता चलता है कि अपने को अमीर, ढाई लाख की रियासत का राजा आदि सुनकर वह, ईश्वरी का मित्र स्वयं को वैसा ही वैभवसम्पन्न समझने लगा था।

प्रश्न 11.
‘पोतंडों का रईस बनने का स्वांग भरना’ वाक्यांश में मित्र के बारे में क्या बताया गया है ?
उत्तर:
मित्र के कपड़े पुराने और साधारण थे परन्तु वह जर्मीदार होने या रियासत का राजा होने का नाटक कर रही थी।

प्रश्न 12.
‘मेरा वह विचार जाने कहाँ चला गया था’ मित्र का कौन-सा विचार उसके मन से हट गया था ?
उत्तर:
मित्र का मानना कि सब मनुष्य बराबर होते हैं, कोई छोटा-बड़ा नहीं होता-आदि विचार ईश्वरी के गाँव पहुँचकर उसने भुला दिए थे।

प्रश्न. 13.
गाँव से वापसी के समय रेलगाड़ी ठसाठस क्यों भरी थी?
उत्तर:
दशहरे की छुट्टियाँ खत्म हो गई र्थी सभी अपने-अपने काम पर लौट रहे थे।

प्रश्न. 14.
‘गाड़ी में तूफान आ गया’-क्यों ?
उत्तर:
मित्र ने एक अन्य यात्री को धक्का दिया था और चाँटे मारे थे। उसके इस अनुचित कार्य का सभी यात्रियों ने जोरदार तरीके से विरोध किया।

RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 13 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न. 1.
ईश्वरी के निमंत्रण पर उसके मित्र द्वारा उसके घर जाने के लिए राजी होने के तीन कारण बताइए।
उत्तर:
मित्र द्वारा ईश्वरी के घर जाने के लिए राजी होने के तीन कारण हैं –

    अपने घर जाने के लिए उसके पास किराये के पैसे न थे तथा वह घरवालों से माँगना नहीं चाहता था।
    सभी विद्यार्थी दशहरे के अवकाश के कारण जा रहे थे। वह बोर्डिंग हाउस में अकेला रहना नहीं चाहता था।
    ईश्वरी मेहनती और बुद्धिमान था। उसके साथ परीक्षा की तैयारी करना चाहता था।

प्रश्न 2.
‘अमीरों में जो एक बेदर्दी और उद्दण्डता होती है, इसमें उसे भी प्रचुर भोग मिला था’-ईश्वरी के बारे में उसके मित्र को यह कथन क्या स्वयं मित्र पर लागू होता है।
उत्तर:
ईश्वरी के बारे में उसके मित्र का यह कथन है। किन्तु यह उसके मित्र पर भी लागू होता है। उसका मित्र अमीर नहीं था। वह एक क्लर्क का पुत्र था किन्तु ईश्वरी के गाँव जाने पर उसने नौकरों, मुंशी रियासत अली तथा रेलयात्री के साथ जो व्यवहार किया, उसको देखकर उसके बारे में भी यही कहा जा सकता है।

प्रश्न, 3.
“यह भेद मेरे ध्यान को सम्पूर्ण रूप से अपनी ओर खींचे हुए था।’ मित्र के इस कथन को स्पष्ट करके लिखिए।
उत्तर:
गाड़ी आने में देर थी। ईश्वरी और उसका मित्र रिफ्रेशमेंट रूम में भोजन करने गए। वहाँ चतुर खानसामों ने उसकी वेश-भूषा देखकर पहचान लिया कि उनका असली ग्राहक ईश्वरी है। ईश्वरी ने उनको इनाम भी दिया। वे बड़ी नम्रता और तत्परता के साथ उसकी सेवा में लगे रहे और मित्र की ओर ध्यान नहीं दिया। ईश्वरी तथा अपने बीच का यह भेद उसके ध्यान में निरन्तर रहा और उसको भोजन में स्वाद नहीं आया।

प्रश्न 4.
ईश्वरी के मित्र को किस बात पर लज्जा आई ?
उत्तर:
ईश्वरी और उसका मित्र दूसरे दर्जे में यात्रा कर रहे थे। उसके मित्र ने इसके पहले इण्टर क्लास में भी सफर नहीं किया था। एक आदमी ने डिब्बे का दरवाजा खोला तो उसने चिल्लाकर कहा-‘यह दूसरा दर्जा अर्थात् सैकेण्ड क्लास है।’ वह यात्री अन्दर आया, और विचित्र दृष्टि से उसकी ओर देखकर कहा कि यह बात वह जानता है। वह बीच वाली बर्थ पर बैठ गया। अपने इस व्यवहार पर मित्र को लज्जा आई।

प्रश्न. 5.
कहानी में इलाहाबाद, लखनऊ और मुरादाबाद-तीन स्थानों के नाम हैं। ईश्वरी का इनसे क्या सम्बन्ध था ? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ईश्वरी इलाहाबाद में पढ़ता था। वहाँ पर ही बोर्डिंग हाउस में रहता था। अपने मित्र के बारे में रियासत अली को बताया-‘आप ही की बदौलत मैं इलाहाबाद में पड़ा हूँ नहीं कब का लेखनऊ चला आया होता’ इससे लगता है कि वह लखनऊ का रहने वाला है। इससे पहले बताया गया है – भोर होते-होते हम लोग मुरादाबाद पहुँचे। स्टेशन पर कई लोग हमारा स्वागत करने के लिए खड़े थे।” उस वर्णन से उसका मुरादाबाद निवासी होना पता चलता है। उसके घर पर इमामबाड़े का-सा फाटक थी। इससे उसको घर लखनऊ में होना प्रतीत होता है।

प्रश्न. 6.
ईश्वरी ने अपने मित्र का परिचय रियासत अली से किस प्रकार कराया ?
उत्तर:
ईश्वरी ने कहा कि वे दोनों इलाहाबाद में साथ पढ़ते हैं और रहते हैं। वह अपने मित्र की बदौलत ही वहाँ पड़ा है। वह उसको बहुत आग्रह करके अपने साथ लाया है। मित्र के घर से आये तारों का उत्तर नहीं में भिजवा दिया है।

प्रश्न. 7.
रियासत अली की शंका क्या थी तथा उसका समाधान ईश्वरी ने किस प्रकार किया ?
उत्तर:
ईश्वरी के मित्र को बहुत सादा कपड़ों में देखकर रियासत अली ने शंका व्यक्त की-‘आप बड़े सादे लिवास में रहते हैं ? ईश्वरी ने इसका समाधान करते हुए बताया कि उसका मित्र महात्मा गाँधी का शिष्य है। केवल खद्दर के कपड़े ही पहनता है। पुराने कीमती कपड़े जला चुका है। वह तो राजा है। ढाई लाख सालाना की रियासत है।

प्रश्न. 8.
ईश्वरी का घर कैसा था ?
उत्तर:
ईश्वरी का घर बहुत शानदार था। उसका फाटक इमामबाड़े के फाटक जैसा था। नौकरों की तो कोई गिनती ही नहीं थी। घर के दरवाजे पर पहरेदार टहल रहा था। द्वार पर एक हाथी भी बँधा था।

प्रश्न, 9.
एकान्त होने पर मित्र ने ईश्वरी से यह क्यों कहा-‘मेरी मिट्टी क्यों पलीद कर रहे हो ?’
उत्तर:
ईश्वरी ने अपने मित्र का परिचय अपने घरवालों तथा नौकरों के साथ बढ़ा-चढ़ाकर कराया। उसने उसको ढाई लाख सालाना की रियासत का मालिक बताया था और सादगी पसन्द महात्मा गाँधी का भक्त बताया था। ये बातें सत्य नहीं थीं। अतः मित्र को ठीक नहीं लग रही थीं परन्तु वह विरोध नहीं कर रहा था।

प्रश्न 10.
नाई से पैर दबवाने और कहार से पैर धुलवाने से मित्र के चरित्र पर क्या प्रकाश पड़ता है?
उत्तर:
नाई से पैर दबवाने को मित्र अमीरों के चोंचले, रईसों का गधापन और बड़े आदमियों की मुटमररी कहता था। कहार से पैर धुलवाना भी उसको यही लगता था। परन्तु ईश्वरी के घर उसने इन बातों का विरोध नहीं किया। उसने स्वीकार किया है – “उसके (ईश्वरी) प्रत्येक वाक्य के साथ मन में उस कल्पित वैभव के समीपतर आता जाता था। ‘मेरा वह विचार न जाने कहाँ चला-गया था।” इससे पता चलता है कि उसका विरोध सिद्धान्तहीन था तथा उस पर अपने बनावटी स्वरूप का नशा चढ़ चुका था। उसमें सत्य को व्यक्त करने का साहस नहीं था।

प्रश्न 11.
ईश्वरी और उसके मित्र की गाँव में क्या दिनचर्या थी ?
उत्तर:
मित्र ईश्वरी के साथ उसके गाँव पढ़ाई के विचार से आया था किन्तु उनका समय सैर-सपाटे में बीत रहा था। नदी में सैर क़रना, शिकार खेलना, पहलवानों की कुश्ती देखना, शतरंज खेलना आदि उनकी दिनचर्या थी।

प्रश्न. 12.
मित्र ने महरा को क्यों डाँटा ?
उत्तर:
महरा ने मित्र का बिस्तर नहीं बिछाया था। रात साढ़े ग्यारह बज रहे थे। तब वह आया तो मित्र ने उसको उसकी लापरवाही के लिए डाँटा।

प्रश्न 13.
मुंशी रियासत अली को फटकारने का क्या कारण था ?
उत्तर:
शाम के बाद का अँधेरा हो गया था। किन्तु कमरे में लैम्प नहीं जली थी, मित्र लैम्प स्वयं भी जला सकता था किन्तु यह बाते उसे अपनी शान के खिलाफ लग रही थी। तभी अचानक मुंशी रियासत अली वहाँ आ पहुँचे। मित्र ने उनकी इसी कारण फटकारा।

प्रश्न 14.
मित्र को नशा किस बात का था और वह कब उतरा ?
उत्तर:
ईश्वरी की झूठी प्रशंसा सुनकर मित्र ने स्वयं को वैभवसम्पन्न समझ लिया था। उस पर अपने कल्पित स्वरूप का नशा चढ़ गया था। वह स्वयं को जमींदार-कुँवर समझने लगा था। इस कारण उसका व्यवहार बदल गया था। रेलयात्री के साथ उसके अमानवीय व्यवहार का जब लोगों ने विरोध किया और ईश्वरी ने भी उसे अनुचित बताया तभी उसका नशा टूटा।
RBSE Class 11 Hindi अपरा Chapter 13 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘नशा’ कहानी का शीर्षक आपकी दृष्टि में कितना उचित है ?
उत्तर:
‘नशा’ कहानी के दो प्रमुख पात्र हैं-ईश्वरी तथा उसका मित्र। ईश्वरी जमींदार का पुत्र है। उसके गाँव जाने पर उसके मित्र पर उसके वैभव का नशा चढ़ जाता है। अपने लोगों को प्रभावित करने के लिए ईश्वरी उसका परिचय एक रियासत के स्वामी के रूप में कराता है। यह कल्पित वैभव मित्र पर छा जाता है और वह स्वयं को जमींदार कुँवर मान लेता है। उसका व्यवहार तथा विचार बदल जाते हैं। रेल में यात्री के साथ उसके दुर्व्यवहार के विरोध होने पर ही उसका नशा टूटता है। कहानी का शीर्षक उसके पात्र-नायक के चरित्रगत गुण पर आधारित है। वह जिज्ञासा से परिपूर्ण है तथा कहानी के कथ्य को व्यक्त करने वाला है। मादक पदार्थों का नशा तो कुछ देर रहता है किन्तु मित्र का नशा तभी टूटता है जब उसका मित्र ईश्वरीय उसको फटकारता है। इस तरह इस कहानी का शीर्षक ‘नशा’ सर्वथा औचित्यपूर्ण है।

प्रश्न. 2.
‘नशा’ कहानी के माध्यम से कहानीकार मानव स्वभाव की किस विशेषता का परिचय देना चाहता है ?
अथवा
‘नशा’ कहानी एक सोद्देश्य रचना है।”- टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
‘नशप्त’ कहानी को कथानक मानव स्वभाव की विसंगतियों पर अधारित है। कहानी का प्रमुख पात्र जो ईश्वरी का मित्र है, एक गरीब क्लर्क का पुत्र है। वह अपने मित्र ईश्वरी की अमीरी तथा उसके अमीरों के समान आचरण का कटु आलोचक है। वह गरीबों तथा किसान मजदूरों का समर्थक है। उसका अपने मित्र के साथ वाद-विवाद होता है और इसमें वह बहुत बार गर्म भी हो जाता है। उसके ये विचार सिद्धान्तों पर आधारित न होकर उसके जीवन की परिस्थितियों पर आधारित हैं। जब वह ईश्वरी के साथ उसके गाँव जाता है और उसका परिचय ढाई लाख सालाना आमदनी वाली रियासत के मालिक के रूप में कराया जाता है तो वह अपने कल्पित चरित्र को ही वास्तविक समझने लगता है और उसका व्यवहार बदल जाता है। वह महरा, मुंशी रियासत अली और रेलयात्री के साथ अमानवीय और अनुचित व्यवहार करता है।

दलित पीड़ितों के प्रति उसकी सहानुभूति न जाने कहाँ गायब हो जाती है। मित्र के चरित्र का सृजन कहानीकार ने खूब सोच-समझकर किया है। वह इस मनोवैज्ञानिक सच्चाई को बताना चाहता है कि सुख-सुविधाओं, धन-सम्पत्ति और दूसरों से अलग बड़ा आदमी होने की आकांक्षा मानव में स्वाभाविक रूप से होती है। जब तक ये चीजें उसके पास नहीं होर्ती, तब तक वह इनकी निन्दा करता है। लेकिन इनको पाने की इच्छा उसके मन में बनी रहती है। इनकी प्राप्ति के साथ ही उसका आचरण बदल जाता है। इस कहानी में कथनी और करनी के अन्तर को सफलतापूर्वक व्यक्त किया गया है।

पर उपदेश कुशल बहुतेरे के अनुसार लोग आदर्शों की बातें तो बहुत कहते हैं पर अपने ऊपर आचरण नहीं करते। परिवर्तन, क्रान्ति, समानता, मातृत्व, सामंती विलासिता की निन्दा तो लोग करते हैं परन्तु व्यावहारिक जीवन में वैसा नहीं करते। अवसर मिलने पर दूसरों का शोषण हम भी करते हैं। तर्क, बौद्धिकता आदि को भुलाकर हम उसी पथ के पथिक हो जाते हैं जिसके हम विरोधी थे। ‘नशा’ कहानी में सम्पत्ति और बड़प्पन के इसी नशे के प्रभाव का चित्रण हुआ है। कह्मनी का उद्देश्य इस मानवीय कमजोरी पर प्रकाश डालना है। कहानी के कथानक का यह प्रमुख तत्व है।’नशा’ प्रेमचन्द की एक उद्देश्यपूर्ण रचना है।

प्रश्न 3.
‘नशा’ कहानी का प्रधान पात्र और नायक कौन है ? उसके चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
‘नशा’ प्रेमचन्द की एक उद्देश्यपूर्ण रचना है। इस कहानी को प्रधान पात्र और नायक ईश्वरी का मित्र है। कहानी में उसका कोई नाम नहीं है, कहानी के समस्त कथानक तथा घटनाओं का केन्द्रबिन्दु वही है। उसके चरित्र की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं। निर्धन-मित्र एक निर्धन क्लर्क का पुत्र है। उसके वस्त्र मामूली और कम कीमती हैं। घर जाने के लिए किराए तक के पैसे उसके पास नहीं होते। अमीरों को आलोचक-वह ईश्वरी का मित्र है, जो एक जमींदार का पुत्र है। मित्र अपने ही मित्र ईश्वरी की जमींदारी, अमीरी तथा उसके अनुरूप आचरण की निन्दा करता है। वह जमींदारों को खून चूसने वाली जोंक, हिंसक पशु, शोषक आदि कहता है। वह स्वयं को गरीबों का समर्थक मानता है।

उसके विचार दलितों के प्रति सहानुभूति तथा शोषण विरोधी हैं। आचरण की भिन्नता -मित्र का आचरण अलग है। उसकी करनी और कथनी में अन्तर है। वह ईश्वरी के गाँव जाता है तो सामन्ती सुख का आनन्द उठाता है। वहाँ उसका व्यवहार एक शोषक, उत्पीड़क जमींदार और अमीर व्यक्ति के समान ही होता है। साहस का अभाव-मित्र के चरित्र में साहस का अभाव है। सत्य को स्वीकार करने और असत्य का विरोध करने का साहस वह नहीं दिखाता। ईश्वरी उसका परिचय एक अमीर और धनवान रियासत के मालिक के रूप में देता है तो वह चुप रहता है तथा इस असत्य का विरोध नहीं करता।

उल्टे वह स्वयं को वैसा ही समझने लगता है। कल्पना का नशा-अपने कल्पित चरित्र का नशा उस पर चढ़ जाता है। वह दूसरों के साथ अनुचित और अमानवीय व्यवहार करता है। उसके अहंकार के शिकार ईश्वरी के नौकर, मुंशी रियासत अली तथा गरीब रेलयात्री बनते हैं। अन्त में, ईश्वरी को भी उल्टे फटकारना पड़ता है। मित्र के चरित्र में उपर्युक्त सभी विशेषताएँ हैं। उसमें मानव-स्वभाव की सहज दुर्बलताएँ विद्यमान हैं। उसका चरित्र कहानीकार की सजग दृष्टि का परिणाम है।

प्रश्न. 4.
प्रेमचन्द की कहानी-कला की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
प्रेमचन्द हिन्दी के उपन्यास और कहानी सम्राट हैं। आपने लगभग 300 कहानियों की रचना की है। पहले आप उर्दू में लिखते थे। बाद में हिन्दी में लेखन आरम्भ किया। हिन्दी में आपकी पहली कहानी ‘पंचपरमेश्वर’ छपी थी। आपकी कहानी कला प्रभावशाली और उत्कृष्ट है। प्रेमचंद की कहानियों का कथानक समाज के दलित शोषित वर्ग से सम्बन्धित है। उसमें किसानों, मजदूरों तथा छोटे माने जाने वाले लोगों के जीवन तथा समस्याओं का चित्रण हुआ है। उपेक्षित महिलाओं के प्रति भी आपकी सहानुभूति रही है। किसानों के जीवन का आपने सजीव तथा प्रभावशाली वर्णन किया है। आपकी कहानियों में भारतीय जीवन का सजीव स्वरूप देखने को मिलता है।

प्रेमचंद के साहित्य पर गाँधीवाद का प्रभाव स्पष्ट है। आप प्रगतिवादी साहित्यिक विचारधारा से जुड़े हुए हैं। इस तरह साम्यवादी-समाजवादी प्रभाव से भी आपका साहित्य अछूता नहीं है। किन्तु इस पर भारतीय जीवन दर्शन की गहरी छाप है। प्रेमचंद मानते हैं कि साहित्यकार को समाज का चित्रण ही नहीं करना चाहिए वरन् अपने साहित्य द्वारा, उसका मार्गदर्शन भी करना चाहिए। पंचपरमेश्वर, पूस की रात’ ‘ठाकुर का कुआँ’, ‘ईदगाह’ इत्यादि कहानियों में भारतीय समाज पर प्रेमचंद की व्यापक दृष्टि का परिचय मिलता है। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी को नया स्वरूप प्रदान किया है। उसको तिलस्म और जासूसी के मायाजाल से मुक्त कर जीवन के वास्तविक धरातल पर उतारा है। समाज की समस्याओं को वर्णन का विषय बनाकर उसको यथार्थ स्वरूप प्रदान किया है। प्रेमचंद आदर्शोन्मुख यथार्थवाद को मानने वाले कहानीकार हैं।

प्रेमचंद की भाषा सरल, बोलचाल की भाषा के निकट तथा विषयानुकूल है। उसमें तत्सम शब्दों के साथ उर्दू, अरबी, फारसी, अँग्रेजी आदि भाषाओं के साथ लोकभाषा के शब्द भी मिलते हैं। मुहावरों और कहावतों के प्रयोग में प्रेमचंद सिद्धहस्त हैं। प्रेमचन्द की शैली वर्णनात्मक है। यत्र-तत्र उसमें विचार-विवेचनात्मक शैली प्रयुक्त हुई है। हास्य-व्यंग्य के छींटे उसे सशक्त और प्रभावशाली बनाते हैं। हम कह सकते हैं कि प्रेमचंद हिन्दी के सशक्त कहानीकार हैं।