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Monday, November 27, 2017
Sunday, November 26, 2017
Q.Answers- Naubatkhane mein Ibadat नौबतखाने में इबादत -बिस्मिल्लाह खान शहनाई वादक
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Tuesday, November 21, 2017
L 17.Bachche Kaam par Ja rahe hain-Explanation with Q Ans
इस बात को विवरण की तरह लिखने का अर्थ है इसकी व्याख्या करते हुए कारणों को बताते हुए लिखना चाहिए कि बच्चे को काम पर क्यों जाना पड़रहा है ?
और इसे विवरण की तरह लिखा जाना भयानक हो सकता है क्योंकि जब हम इस बात की व्याख्या करेंगे और जानेंगे कि बच्चों की इस स्थिति का ज़िम्मेदार वह सत्ता वर्ग है जिसे जनता चुनकर नेता बनाती है ,वह समाज है जिसमें हम रहते हैं ,वह पूंजीवादी वर्ग है जो इन बच्चों का शोषण करने से कतराता नहीं है.इन कारणों को जानने के बाद यही भय उत्पन्न होगा कि इस तरह इन बच्चों का उद्धार कभी नहीं हो सकेगा क्योंकि जब शासक वर्ग ही इनकी उपेक्षा करेगा तब ये बच्चे इसी स्थिति में रहने को मजबूर होंगे ,साथ ही इनमें कुंठा पनपेगी जो समाज के लिए एक और भयानक बात होगी.
=====================Alpana Verma ===========
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============Question 1:
कविता की पहली दो पक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
Answer:
कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने से हमारे मन में कुछ गरीब बच्चों की अत्यंत दयनीय स्थिति का चित्र उभरता है। आर्थिक स्थिति के खराब होने के कारण उनका बचपन खो गया है। अपनी तथा अपने परिवार की ज़िम्मेदारियों को उठाते ये दो हाथ निरंतर काम में लगे हुए हैं। इनकी आँखों में भी कुछ सपने हैं जिनको पूरा करने में ये असमर्थ हैं।
Question 2:
कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
Answer:
बच्चों की दुर्दशा के ज़िम्मेदार समाज के ही लोग हैं। समाज को जागरुक करने तथा इस समस्या के समाधान के लिए प्रयत्न करने पर विवश करने के लिए समाज के सामने इन प्रश्नों को पूछना उचित एवं न्यायोचित है।जब तक प्रश्न नहीं किया जाएगा तब तक लोगों का इस समस्या की ओर ध्यान नहीं जाएगा और कोई समाधान भी नहीं मिलेगा।
Question 3:
सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
Answer:
सुविधा तथा मनोरंजन के उपकरणों से वंचित होने का एक मात्र कारण समाज में व्याप्त आर्थिक स्तर का वर्ग -भेद है। निम्नश्रेणी के बच्चों की आर्थिक स्थिति खराब है। अपने परिवार का पालन -पोषण करने के लिए वे कमाने का ज़रिया मात्र बनकर रह गए हैं। जहाँ जीविका के लिए आर्थिक तंगी हो वहाँ मनोरंजन के साधन तथा जीवन के अन्य सुख-सुविधाओं की कल्पना करना भी असंभव जान पड़ता है।
Question 4:
दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
Answer:
ये बच्चे समाज में उपेक्षित हैं इसका एक कारण यह है कि आज का मनुष्य इतना आत्मकेन्द्रित हो चुका है कि उसके आस-पास की घटना की खबर भी उसे कभी-कभी ही लगती है। मनुष्य अपनी परेशानियों को सुलझाने में इतना व्यस्त है कि किसी और की परेशानी की तरफ़ देखने तक की फुर्सत नहीं है। दूसरा कारण यह कि लोगों को कम कीमत में अच्छे श्रमिक मिल जाते हैं। इसलिए इसके विरुद्ध कदम उठाकर वे स्वयं को इस सुख से वंचित नहीं करना चाहते हैं।
Question 5:
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
Answer:शहर में अक्सर बच्चे –
- शहरों में बने छोटे -छोटे कारखानों में चोरी- छुपे काम करते नज़र आते हैं ,
- दुकानों में काम करते नज़र आते हैं।
- होटल-ढ़ाबों में बरतन साफ़ करते नज़र आते हैं।
- दफ्तरों में चाय देते नज़र आते हैं।
- ऑटो-स्कूटर रिक्शा ,बस में भी काम करते हैं।
- घरों में भी कभी -कभी कम उम्र के बच्चे काम करते देखे गए हैं।
Question 6:
बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
Answer:
आज के बच्चे कल का भविष्य हैं। यदि समाज में बच्चों की प्रगति पर अंकुश लगा दिया जाए तो देश का भविष्य अंधकारपूर्ण होगा। हमारा देश एक प्रगतिशील देश है। बच्चे भी इस प्रगति का एक अभिन्न अंग हैं। सभी बच्चे एक समान हैं। उनको बचपन से वंचित करना समाज के लिए अमानवीय कर्म है। इसलिए यह हमारे समाज के लिए अभिशाप है।
Question 7:
काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आप को रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
Answer:
काम पर जाते बच्चों के स्थान पर यदि हम स्वयं को रखेंगे तो हमें अपनी स्थिति अत्यंत कष्टदायक लगेगी। दूसरे बच्चों को खिलौने से खेलते तथा स्कूल जाते देख हमारे मन में तरह-तरह के प्रश्न उभर आएँगे। हम स्वयं को उनके समक्ष छोटा और हीन महसूस करेंगे।
Question 8:
आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?
Answer:
हमारे विचार से बच्चों को काम पर नहीं भेजना चाहिए क्योंकि उनके छोटे से मस्तिष्क में इस घटना का दुखद प्रभाव पड़ सकता है, जो धीरे-धीरे बढ़कर विद्रोह का रुप धारण कर सकता है। इसी तरह के बच्चे आर्थिक अभाव तथा सामाजिक असमानता के कारण आगे चलकर आतंकवादी, चोरी जैसे गलत कामों को अंजाम दे सकते हैं। इससे समाज की हानि हो सकती है।
सबसे पहले तो समाज की यह कोशिश होनी चाहिए कि ऐसे बच्चों को अन्य सभी बच्चों की तरह पढ़ने-लिखने तथा समाज के साथ आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए या फिर उनकी मदद करने के लिए सरकार तथा समाज से सहायता की माँग करनी चाहिए।
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Monday, November 20, 2017
Sunday, November 19, 2017
Friday, November 17, 2017
Thursday, November 16, 2017
कार्नेलिया का गीत Arun yeh madhumay अरुण यह मधुमय देश Class 12 H...
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा॥
सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा॥
लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा॥
बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल।
लहरें टकरातीं अनन्त की, पाकर जहाँ किनारा॥
हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा॥
Tuesday, November 14, 2017
K5 .मैं क्यों लिखता हूँ?IMain kyun likhta hun With Q Ans Class 10
Meenakshi Doda asked _
meaning of "Bahari dabav Dabav nhi bhitri unmesh ka karan bn jata h" ???
AV answered : Jab mummy kahti hai padhayii karo..padhayi karo to wah bahari dawab hota hai..aap kitaab le kar baith jaate ho chahe dil hai ya nahi..just isliye ki mummy ne bila hai...lekin thodi der mei padhate padhte aapka dil padhayi mei lag jata hai aur aapke dil mei dil laga kar padhne ki ichchha hoti hai tab wah bahari dawab bhitri prerna ka kaam karne lagta hai...same thing ek writer par bhi lagoo ho sakti hai.
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Meenakshi Doda
yanii unmesh ka arth prerna hai?
AV answered : मीनाक्षी,उन्मेष का शाब्दिक अर्थ 'आँख खुलना 'या प्रकाश [उजाला] होता है लेकिन यहाँ प्रसंग के संदर्भ में भीतरी उन्मेष का अर्थ आन्तरिक समझ आना या भीतरी दृष्टि मिलना होगा ..'निमित्त का अर्थ होता है कारण... .'प्रेरणा' शब्द मैंने इस पंक्ति का भाव समझाने के लिए कहा है.बाहरी दबावों के कारण जब आपके मन में समझ आती है या बोध का उजाला फैलता है तो आप कुछ नया और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित होते हैं.
Sunday, November 12, 2017
Megh Aaye मेघ आए Iव्याख्या Q. Ans IAlpana Verma
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
मेघ आये
मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के
आगे-आगे नाचती गाती बयार चली
दरवाजे खिड़कियाँ खुलने लगीं गली गली
पाहुन ज्यो आये हों गाँव में शहर के
मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बांकी चितवन उठा, नदी ठिठकी घूंघट सरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के।
बूढ़े पीपल ने बढ़कर आगे जुहार की
बरस बाद सुधि लीन्ही’ –
बोली अकुलाई लता ओट हो किवाड़ की
हरसाया ताल लाये पानी परात भर के
मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के।
क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी
क्षमा करो गांठ खुल गई अब भरम की
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढ़रके
मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के।
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Friday, November 10, 2017
Thursday, November 9, 2017
Wednesday, November 8, 2017
‘र’ के विभिन्न रूप/ 'R' ke vibhinn Ruup
‘र’ के विभिन्न रूप
‘र’ एक व्यंजन वर्ण है।
उच्चारण की दृष्टि से यह लुंठित व्यंजन ध्वनि है।
हिंदी भाषा में ‘र’ के विभिन्न रूपों का प्रयोग होता है।
कहीं पर ‘र’ का प्रयोग स्वर रहित होता है तो कहीं पर स्वर सहित।
[जिसमें ‘अ’ की ध्वनि हो वह स्वर सहित
जिसमें ‘अ’ की ध्वनि न हो वह स्वर रहित]
‘र’ का सामान्य रूप
‘र’ रमन, दरवाजा, दीवार
‘र’ के सामान्य रूप का प्रयोग में ‘र’ शब्द के आरंभ में, मध्य में और अंत में आ सकता है।
‘र’ में सभी मात्राएँ लग सकती है सिवाय ‘ऋ’ और हलंत (्) के, जैसे -
र, रा, रि, री, रु, रू, रे, रै, रो, रौ
र+उ=रु (रुद्र, रुचि, पुरुष, गुरु, रुपया)
र+ऊ=रू (रूप, रूठना, अमरूद, डमरू, रूखा)
रेफ
यह रेफवाला ‘र’ कहलाता है। यह स्वर रहित ‘र’ है।
शब्दों में इसका प्रयोग होते समय इसके उच्चारण के बाद आने वाले वर्ण की अंतिम मात्रा के ऊपर लग जाता है, जैसे-
परव = पर्व
जुरमाना = जुर्माना
वरणन = वर्णन
कुछ ऐसे शब्द जिसमें ‘र’ के बाद का वर्ण भी स्वर रहित हो तो रेफ का प्रयोग उसके अगले वर्ण के सिर पर लगता है, जैसे-
व् + अ + र् + ण् + य् + अ = वर्ण्य
अ + र् + घ् + य् + अ = अर्घ्य
विशेष
- कुछ शब्द ऐसे भी हैं जिसमें दो रेफों का प्रयोग लगातार होता है, जैसे- धर्मार्थ, पूर्वार्ध, वर्षर्तु।
- रेफ का प्रयोग कभी भी किसी भी शब्द के पहले अक्षर में नहीं लग सकता।
- स्वर वर्ण ‘ई’ के सिर पर लगा चिह्न और रेफ का चिह्न एक समान होता है, प्रयोग के समय ध्यान दें।
- ‘र’ के ऊपर भी रेफ का प्रयोग हो सकता है, जैसे- खर्र-खर्र, अंतर्राष्ट्रीय इत्यादि।
नीचे-- पदेन
‘ यह ‘र’ का नीचे पदेन वाला रूप है।‘र’का यह रूप भी स्वर रहित है। यह ‘र’ का रूप अपने से पूर्व आए व्यंजन वर्ण में लगता है। पाई वाले व्यंजनों के बाद प्रयुक्त ‘र’ का यह रूप तिरछा होकर लगता है, जैसे- क्र, प्र, म्र इत्यादि।
जिन व्यंजनों में एक सीधी लकीर ऊपर से नीचे की ओर आती हैं उसे ही हम खड़ी पाई वाले व्यंजन कहते हैं, जैसे – क, ख, ग, च, म, प, य इत्यादि
पाई रहित व्यंजनों में नीचे पदेन का रूप ^ इस तरह का होता है, जैसे- राष्ट्र , ड्रम, पेट्रोल, ड्राइवर इत्यादि।
जिन व्यंजनों में एक सीधी लकीर ऊपर से नीचे की ओर बहुत थोड़ी मात्रा में आती हैं उसे ही हम पाई रहित वाले व्यंजन कहते हैं, जैसे – ट, ठ, द, ड, इत्यादि
‘द’ और ‘ह’ में जब नीचे पदेन का प्रयोग होता है तो ‘द् + र = द्र’ और ‘ह् + र = ह्र’ हो जाता है, जैसे- दरिद्र, रुद्र, ह्रद, ह्रास इत्यादि।
‘त’ और ‘श’ में जब नीचे पदेन का प्रयोग होता है तो ‘त् + र = त्र’ और ‘श् + र = श्र’ हो जाता है, जैसे – त्रिशूल, नेत्र, श्रमिक, अश्रु इत्यादि।
विशेष
- का प्रयोग केवल ‘ट’ और ‘ड’ व्यंजन वर्णों के साथ ही होता है। ‘ड्र’ से अधिकतर अंग्रेज़ी शब्दों का ही निर्माण होता है।
- कुछ शब्द ऐसे हैं जिनमें दो नीचे पदेन का प्रयोग एक ही शब्द में हो सकता है, जैसे- प्रक्रम, प्रकार्य इत्यादि
- कुछ शब्द ऐसे हैं जिनमें नीचे पदेन और रेफ का प्रयोग शब्द के एक ही वर्ण में हो सकता है, जैसे- आर्द्र, पुनर्प्रस्तुतिकरण इत्यादि ।
‘र’ और ‘ऋ’ में निहित अंतर
‘र’ और ‘ऋ’ में निहित अंतर को समझना आपके लिए फायदेमंद साबित होगा क्योंकि कभी-कभी कुछ छात्र ‘र’ और ‘ऋ’ से जुड़ी गलतियाँ कर बैठते हैं।
- ‘र’ व्यंजन वर्ण है और ‘ऋ’ स्वर वर्ण
- ‘र’ का रूप क्र,र्क, ट्र और ‘ऋ’ की मात्रा ‘ृ’ है, जैसे – ग्रह और गृह
- ‘ऋ’ का प्रयोग जिस किसी भी शब्द के साथ होता है, वह तत्सम (संस्कृत के शब्द) शब्द ही होता है।
- ‘ऋ’ का उच्चारण अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से होता है, कृष्णा शब्द का उच्चारण बिहार, दिल्ली में Krishna और ओडिशा, महाराष्ट्/Gujarat में Krushna होता है, अर्थात् भाषा चलन के अनुसार कहीं ‘रि’ और ‘रु’ हो जाता है।
Sunday, November 5, 2017
2018 Model Question paper discussion I Class 12 Hindi Core I हिंदी
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Model question paper Class 10 Hindi A 2018
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Model question paper Class 10 Hindi B 2018
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Model question paper Class 12 हिंदी ऐच्छिक 2018
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Model question paper Class 12 Hindi 2018
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Aalekh lआलेख कैसे लिखें ? आलेख और फीचर में अंतरl Class 11 और 12 Hindi
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- हिंदी आलेख एक गद्य लेखन विधा है।
- इसे वैचारिक गद्य रचना भी कह सकते हैं।
- ज्वलंत विषय, समस्याओं, अवसरों तथा चरित्र आदि पर आलेख लिखे जाते हैं।
- विषय वस्तु से संबंधित आंकड़े मिल सकें तो उन्हें आलेख में लिखें।
आलेख एक विषय पर तथ्यात्मक विश्लेषणात्मक अथवा विचारात्मक जानकारी होती है कल्पना का स्थान नहीं होता है।
आलेख में मुख्य रूप से दो अंग प्रयुक्त होते हैं -
- भूमिका
- विषय का प्रतिपादन
आलेख की भाषा -
- सरल ,रोचक और आकर्षक होनी चाहिए।
- वाक्य छोटे होने चाहिए ।
- एक परिच्छेद में एक भाव व्यक्त हो।
- आलेख का समाप्ति अंश निष्कर्षपरक होना चाहिए ।
आलेख और निबंध में अंतर :
आलेख निबंध का संक्षिप्त रूप होता है , आलेख और निबंध में यही अंतर होता है कि आलेख में निजी विचार होते हैं तथा निबंध में ऐसा नहीं होता ।
फीचर और आलेख में अंतर हेतु विडियो देखें .
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