Wednesday, January 20, 2021

Bihar Board Class 12 (100 Marks) दिगंत

 

Bihar Board Class 12 Hindi

 For 100 Marks 

 1    बातचीत – बालकृष्ण भट्ट
 2    उसने कहा था श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी(biography)
 3    सपूर्ण क्रांति---जयप्रकाश नारायण
(biography)
 4    अर्धनारीश्वर--- – रामधारी सिंह दिनकर
 5    रोज़ ---– सचिदानन्द हीरानंद वात्स्यान ‘अज्ञेय'
 6    एक लेख और एक पत्रभगत सिंह
 7    ओ सदानीरा – जगदीश चन्द्र माथुर
 8    सिपाही की माँ – मोहन राकेश

 9  प्रगीत  और समाज – नामवर सिंह
 10    जूठन – ओमप्रकाश वाल्मीकि
 11    हँसते हुए मेरा अकेलापन – मलयज
 12    तिरिछ – उदय प्रकाश
 13    शिक्षा – जे. कृष्णमूर्ति
काव्य खंड
 14    कड़बक  – मलिक मुहम्मद जायसी
 15    पद – सूरदास के पद  + तुलसीदास के पद 
 16    छप्पय – नाभादास 
 17     कवित्त – भूषण
 18     तुमुल कोलाहल कलह में – जयशंकर प्रसाद
 19     पुत्र वियोग – सुभद्रा कुमारी चौहान
 20     उषा – शमशेर बहादुर सिंह
 21     जन जन चेहरा तक – गजानन माधव मुक्तिबोध
 22     अधिनायक – रघुवीर सहाय
 23     प्यारे नन्हे बेटे को – विनोद कुमार शुक्ल
 24   हार– जीत – अशोक बाजपेयी
 25    गाँव का घर –ज्ञानेन्द्रपति

 व्याकरण के पाठों के लिए यहाँ देखें 

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एक लेख और एक पत्र -पाठ 6 /बिहार बोर्ड /कक्षा १२ हिंदी

 ===============Part 1

 

Ek lekh aur ek patr Part 2 https://youtu.be/0Wsw936VJUA  

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Tuesday, January 19, 2021

शहीद भगत सिंह / संक्षिप्त परिचय Sardar Bhagat Singh /

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भगत सिंह

 (जन्म: 28 सितम्बर 1907 मृत्यु:23 मार्च 1931) भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी & क्रांतिकारी थे। 

जेल में भगत सिंह करीब २ साल रहे। इस दौरान वे लेख लिखकर अपने क्रान्तिकारी विचार व्यक्त करते रहते थे। जेल में रहते हुए भी उनका अध्ययन लगातार जारी रहा। उनके उस दौरान लिखे गये लेख व सगे सम्बन्धियों को लिखे गये पत्र आज भी उनके विचारों के दर्पण हैं। अपने लेखों में उन्होंने कई तरह से पूँजीपतियों को अपना शत्रु बताया है। उन्होंने लिखा कि मजदूरों का शोषण करने वाला चाहें एक भारतीय ही क्यों न हो, वह उनका शत्रु है। उन्होंने जेल में अंग्रेज़ी में एक लेख भी लिखा जिसका शीर्षक था मैं नास्तिक क्यों हूँ? 

 

जेल में भगत सिंह व उनके साथियों ने ६४ दिनों तक भूख हडताल की। उनके एक साथी यतीन्द्रनाथ दास ने तो भूख हड़ताल में अपने प्राण ही त्याग दिये थे। 

 23 मार्च 1931 को शाम में करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा इनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फाँसी दे दी गई। फाँसी पर जाने से पहले वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे और जब उनसे उनकी आखरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे और उन्हें वह पूरी करने का समय दिया जाए। कहा जाता है कि जेल के अधिकारियों ने जब उन्हें यह सूचना दी कि उनके फाँसी का वक्त आ गया है तो उन्होंने कहा था- "ठहरिये! पहले एक क्रान्तिकारी दूसरे से मिल तो ले। फाँसी पर जाते समय वे तीनों मस्ती से गा रहे थे - 

मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे। 

मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग दे बसन्ती चोला॥ 

 

 Video prepared and presented by Alpana Verma

Saturday, January 16, 2021

क्रिया और उसके भेद /Hindi Verb and its Kinds

 परिभाषा :

जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय, उसे क्रिया कहते है।
जैसे- भागना ,सोना, पढ़ना, खाना, पीना, जाना आदि।

जिन शब्दों या पदों से यह पता चले की कोई कार्य हो रहा है या किया जा रहा है उसे क्रिया कहते हैं। 

क्रिया विकारी शब्द  है | क्योंकि इसका रूप लिंग, वचन और पुरुष के कारणबदलता है ।

वाक्य में क्रिया का बहुत  महत्त्व होता है अगर  कर्ता अथवा अन्य योजकों का प्रयोग न हुआ हो तब भी केवल क्रिया से ही वाक्य का अर्थ स्पष्ट हो जाता है; जैसे-
(1) इधर आओ।
(2) यहाँ  बैठ जाओ।
(3) चले जाओ । 

4) सुनो!

धातु -
जिस मूल रूप से क्रिया को बनाया जाता है उसे धातु कहते है। यह क्रिया का ही एक रूप होता है। धातु को क्रिया का मूल रूप कहते हैं।

धातु में ना जोड़ने से हिंदी के क्रियापद बनते हैं-

जैसे -
लिख + ना = खाना
पढ़ + ना = पढ़ना

 क्रिया के भेद

क्रिया के भेद जानने से पहले हमें कर्ता, कर्म और क्रिया को समझें ।

कर्ता – काम करने वाले को कर्ता कहते हैं।

कर्म – कर्ता जो काम करता है, उसे कर्म कहते हैं।

कर्म को जानने के लिए हम क्रिया पर “क्या”/ ”किसको” प्रश्न करते हैं।

राम      पुस्तक   पढ़ता  है|
(कर्ता)   (कर्म)     (क्रिया) 

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१.कर्म के आधार पर क्रिया के २ भेद -

1. अकर्मक क्रिया

जिस वाक्य में क्रिया का प्रभाव या फल कर्ता पर पड़ता है क्योंकि कर्म प्रयुक्त नहीं होता उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं जैसे - लता  गाती है।

2. सकर्मक क्रिया 

सकर्मक क्रिया के दो उपभेद किये जाते हैं –एक कर्मक क्रिया – जिस वाक्य में क्रिया के साथ एक कर्म प्रयुक्त हो उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे -लीना पढ़ रही है।
    द्विकर्मक क्रिया – जिस वाक्य में क्रिया के साथ दो कर्म प्रयुक्त हो उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – मोहन चाकू से फल काट रहा  है ।

२.रचना या संरचना के आधार पर क्रिया के भेद
संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद 5 हैं-

  1.  संयुक्त क्रिया, हिंदी में क्रिया कभी एक पद द्वारा प्रकट होती है और कभी एक से अधिक पदों द्वारा।जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ आपस में मिलकर एक पूर्ण क्रिया बनाती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।जैसे-बच्चा  सो रहा  है।इस वाक्य में तीन क्रियाएँ हैं सो +रहा + है ,इस प्रकार एक से अधिक क्रिया होने तथा उसका संयुक्त रूप प्रयुक्त होने के कारण ये संयुक्त क्रियाएँ है।
  2. नामधातु क्रिया, संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों के अंत में प्रत्यय लगाकर जो क्रिया बनती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं।चिकनापन, फि़ल्माना,गरमाना,अपनाना 
  3. प्रेरणार्थक क्रिया, जहाँ कर्ता अपना कार्य स्वयं न करके किसी अन्य को कार्य करने की प्रेरणा देता है, वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है।जैसे-मीना  नौकरानी से धुलाई  करवाती है।(मालकिन स्वयं धुलाई न करके नौकरानी से करवा रही है, अतः प्रेरणार्थक क्रियाहै.
  4. पूर्वकालिक क्रिया, (वह क्रिया जिसका पूरा होना दूसरी क्रिया से पूर्व पाया जाता है, उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं, अर्थात् मुख्य क्रिया से पहले होने वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। पूर्व आने वाली क्रिया मूल धातु के साथ ‘कर’ लगाकर बनती है।
    जैसे -माली पौधे लगाकर चला गया  ।
    इस वाक्य में ‘चला गया ’से पहले ‘लगाकर ’क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः ये पूर्वकालिक क्रिया है।
  5. कृदंत क्रिया -क्रिया शब्दों में जुड़ने वाले प्रत्यय कृत प्रत्यय कहलाते हैं तथा प्रत्यय के योग से बने शब्द कृदंत कहलाते हैं क्रिया शब्दों के अंत में प्रत्यय योग से बनी क्रिया कृदंत क्रिया कहलाती है क्रिया लिख , कृदंत क्रिया लिखना ,लिखता ,लिख  कर

 ३. काल के आधार पर 

  • भूतकालिक क्रिया –  क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा बीते समय में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है भूतकालिक क्रिया कहलाती है
  • वर्तमान कालिक क्रिया –  क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान समय में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है वर्तमान काल क्रिया कहलाती है
  • भविष्यत कालिक  क्रिया –  क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा आने वाले समय में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है भविष्यत कालिक क्रिया कहते हैं

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इसके अतिरिक्त प्रयोग के आधार भी हम क्रिया के भेद कर सकते हैं -
वाक्य में क्रियाओं का प्रयोग कहाँ किया जा रहा है किस रूप में किया जा रहा है इसके आधार पर क्रिया के निम्न भेद होते हैं –

  1.     सामान्य क्रिया
  2.     संयुक्त क्रिया
  3.     प्रेरणार्थक क्रिया
  4.     पूर्वकालिक क्रिया
  5.     नाम धातु क्रिया
  6.     कृदंत क्रिया
  7.     सजातीय क्रिया
  8.     सहायक क्रिया---------


Friday, January 15, 2021

तिरिछ ।व्याख्या ।लेखक उदय प्रकाश ।

 

तिरिछ Part 1व्याख्या ।लेखक उदय प्रकाश । --------------------------------- 

तिरिछ कहानी। Part 2। Explanation। =

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उसने कहा था : https://youtu.be/3twNYaNB1FA
रोज़ : https://youtu.be/mwstia4bJQM
बातचीत :https://youtu.be/21aCKP76Ez0
सम्पूर्ण क्रान्ति : भाग १ :https://youtu.be/IFaCvqM1dW8
भाग २ : https://youtu.be/Ron2KStstIQ
अर्धनारीश्वर : https://youtu.be/xPTLQxGIwKM
Class 12 Digant : प्लेलिस्ट देखें

Video lesson  prepared and presented by Alpana Verma

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Wednesday, January 13, 2021

सचिदानन्द हीरानंद वात्स्यान ‘अज्ञेय' परिचय -एक नज़र

 

सम्पूर्ण क्रान्ति / पाठ 3/ Sampooran kranti /Jayprakash Narayan/बिहार बोर्ड कक्षा 12

 

लोक नायक जय प्रकाश नारायण जी को भारतरत्न 1998 में , मरणोपरान्त प्राप्त हुआ .

The Bihar government used brutal force to suppress the movement and on 18 March 1974, police fired on unarmed demonstrators and eight people were killed in police firing.
Indira Gandhi was found guilty of violating electoral laws by the Allahabad High Court. Narayan called for Indira and the CMs to resign and the military and police to disregard unconstitutional and immoral orders. He advocated a program of social transformation which he termed Sampoorna kraanti, "total revolution".

 Part 1

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=================== ============== Part 2 ========== ==================

Tuesday, January 12, 2021

हिमालय से (कविता ) व्याख्या सहित /Mahadevi Verma

 

================== =================== महादेवी वर्मा साहित्यिक परिचय ========= ===========

लेखक परिचय चन्द्रधर शर्मा गुलेरी /Chandradhar Sharma 'Guleri'

 

 

लेखक परिचय
 चन्द्रधर शर्मा गुलेरी

 


 चन्द्रधर शर्मा गुलेरी (1883–1922)

जीवन–परिचय : हिन्दी गद्य साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखने वाले चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 7 जुलाई, सन् 1883 ई. के दिन जयपुर, राजस्थान में हुआ था। लेकिन इनका मूल निवास स्थान कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश का गुलेर नामक गाँव था।
पिता का नाम :पं. शिवराम था।

शिक्षा:  बचपन में  संस्कृत में शिक्षा प्राप्त की।
1899 में इलाहाबाद तथा कोलकाता विश्वविद्यालयों से क्रमश: एंट्रेंस तथा मैट्रिक पास की।
 सन् 1901 में कोलकाता विश्वविद्यालय से इंटरमीडिएट करने के उपरान्त सन् 1903 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी. ए. किया।

कार्यक्षेत्र /वृत्ति : सन् 1904 में जयपुर दरबार की ओर से खेतड़ी के नाबालिग राजा जयसिंह के अभिभावक बनकर मेयो कॉलेज, अजमेर में आ गए।
इसके बाद इन्हें जयपुर भवन छात्रावास के अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया।
 सन् 1916 में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष बनाए गए।  अन्तिम दिनों में मदन मोहन मालवीय के निमन्त्रण पर इन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राच्य विभाग के कार्यवाहक प्राचार्य तथा मनीन्द्र चन्द्र नंदी पीठ में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।

 निधन:  12 सितम्बर, 1922 के दिन हुआ।

रचनाएँ :
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की प्रमुख रचनाएँ  निम्नलिखित हैं--

 कहानियाँ–सुखमय जीवन (1911), बुद्ध का काँटा (1911), उसने कहा था (1915)।

निबन्ध–
कछुआ धरम, मारेसि मोहि कुठाँव, पुरानी हिन्दी, भारतवर्ष, डिंगल, संस्कृत की टिप्पणी, देवाना प्रिय आदि।

इसके अतिरिक्त प्राच्यविद्या, इतिहास, पुरातत्व, भाषा विज्ञान और समसामयिक विषयों पर निबन्ध लेखन।

अंग्रेजी निबन्ध–ए पोयम बाय भास, ए कमेंटरी ऑन वात्सयायंस कामसूत्र, दि लिटरेरी क्रिटिसिज्म आदि।

टिप्पणियाँ–अनुवादों की बाढ़, खोज की खाज, क्रियाहीन हिन्दी, वैदिक भाषा में प्राकृतपन आदि।

संपादन–समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका। इसके अतिरिक्त इन्होंने देशप्रेम को लेकर कुछ महत्त्वपूर्ण कविताएँ भी लिखी हैं।

साहित्यिक विशेषताएँ :
कम लिखकर बहुत अधिक ख्याति प्राप्त करने वाले चन्द्रधर शर्मा गुलेरी हिन्दी गद्य साहित्य के एक प्रमुख लेखक हैं।
वे हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी आदि भाषाओं के प्रकांड विद्वान थे।गणित और ज्योतिष का भी इन्हें बहुत अच्छा ज्ञान था.
 इन्होंने अपनी अभिरुचि के विभिन्न विषयों पर निबंध, लेख, टिप्पणियाँ आदि लिखीं।
 हिन्दी कहानी के विकास में इनका प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
 यथार्थ के संतुलित संधान के साथ आधुनिक कथ्यों वाली महत्त्वपूर्ण कहानियाँ लिखीं।
इनकी कहानियों की विषयवस्तु और कथ्य अधिक गंभीर, रोचक तथा समय से आगे की है।

'उसने कहा था ' कहानी हिंदी  की पहली प्रेम  कहानी मानी जाती है।जिसने इन्हें सबसे अधिक  लोकप्रियता दी ।

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Sunday, January 10, 2021

रामधारी सिंह दिनकर | संक्षिप्त जीवन परिचय

|Ramdhari Singh Dinkar Jeevan Parichay ============= रामधारी सिंह दिनकर | संक्षिप्त जीवन परिचय

Thursday, January 7, 2021

बातचीत पाठ 1 व्याख्या सहित और प्रश्न -उत्तर / Baatcheet Lesson Explanation/Bihar board

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बातचीत पाठ 1/व्याख्या सहित Baatcheet Lesson Explanation Class 12 हिंदी

( १०० अंक के लिए )Bihar Board 2021

  बालकृष्ण भट्ट जी का लिखा यह निबंध सबसे पहले 'हिंदी प्रदीप 'मासिक पत्र में अगस्‍त, 1891 को छपा था . प्रश्न1 :यदि हम में वाक्शक्ति उनमें न होती तो क्या होता? यदि मनुष्‍य की अन्य इंद्रियाँ अपनी-अपनी शक्तियों से अविकल रहतीं और वाक्शक्ति उनमें न होती तो सब लोग लुंज-पुंज से हो मानो एक कोने में बैठा दिये गये होते और जो कुछ सुख-दु:ख का अनुभव हम अपनी दूसरी-दूसरी इंद्रियों के द्वारा करते उसे अवाक् होने के कारण आपस में एक दूसरों से कुछ न कह सुन सकते।

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 प्रश्न २ : 'राम रमौवल' क्या है ? 

चार व्यक्तियों व अधिक की वार्तालाप 'राम रमौवल' कही जाती है। 

वाक्य प्रयोग :हर शाम हम  चारों पड़ोसी मित्र  पार्क  में 'राम रामौवल' किया करते हैं।

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प्रश्न ३ : बातचीत के संबंध में वेन जॉनसन और एडीसन के क्या विचार हैं?

 *बेन जानसन का यह कहना कि - ''बोलने से ही मनुष्‍य के रूप का साक्षात्‍कार होता है'' 

 *एडिसन का मत है असल बातचीत सिर्फ दो में हो सकती है जिसका तात्‍पर्य यह हुआ कि जब दो आदमी होते हैं तभी अपना दिल दूसरे के सामने खोलते हैं जब तीन हुए तब वह दो की बात कोसों दूर गई। 

 

 प्रश्न4 :‘आर्ट ऑफ कनवरशेसन’ क्या है? 

 

 उत्तर-‘आर्ट ऑफ कनवरसेशन’ बातचीत करने की एक कला है जो योरप के लोगों में प्रचलित है। इस बातचीत की कला की पूर्ण शोभा काव्यकला प्रवीण विद्वमंडली में है। ऐसी चतुराई के साथ इसमें प्रसंग छोड़े जाते हैं कि जिन्हें सुनकर कान को अत्यन्त सुख मिलता है। साथ ही इसका अन्य नाम 'सुह्रद गोष्ठी 'है। 'सुह्रद गोष्ठी' की बातचीत की विशेषता यह है कि बात करनेवालों की जानकारी अथवा पंडिताई का अभिमान या कपट कहीं प्रकट नहीं होता बल्कि कानों में रसाभास पैदा करने वाले शब्दों को बरतते हुए चतुर सयाने अपने बातचीत को सरस रखते हैं।लेकिन हमारे देश में स्थिति यह है कि यहाँ के विद्वान आधुनिक शुष्क बातचीत में जिसे शास्त्रार्थ कहते हैं, अपनी बातचीत में वैसा रस नहीं घोल सकते,वे नीरस होते हैं । 


प्रश्न 5.
मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है? इसके द्वारा वह कैसे अपने लिए सर्वथा नवीन संसार की रचना कर सकता है?
उत्तर-
मनुष्य में बातचीत का सबसे उत्तम तरीका उसका आत्मवार्तालाप या आत्मालाप  है। आत्मवार्तालाप से तात्पर्य है कि मनुष्य अपने अन्दर ऐसी शक्ति विकसित करे जिसके कारण वह अपने आप से बात कर लिया करे।इससे वह  क्रोध पर नियंत्रण कर सकता है जिसके कारण अन्य किसी व्यक्ति को कष्ट न पहुँचे।  हमारी भीतरी मनोवृति प्रशिक्षण नए-नए रंग दिखाया करती है। वह हमेशा बदलती रहती है। लेखक  इस मन को प्रपंचात्मक संसार का एक बड़े  आईने  के रूप में देखते हैं जिसमें जैसा चाहो वैसा देख पाना संभव होता है । अतः मनुष्य को चाहिए कि मन के चित्त को एकाग्र कर मनोवृत्ति स्थिर कर अपने आप से बातचीत करना सीखे। इससे इसे अपनी जीभ या वाणी पर नियंत्रण हो सकेगा  जिसके कारण वह  बिना प्रयास के क्रोधादि जैसे बड़े-बड़े अजेय शत्रु पर भी विजय पा सकता है । वाणी पर नियंत्रण से मनुष्य दूसरों का भला भी कर सकता है इसलिए मनुष्य के बातचीत करने का यही सबसे उत्तम तरीका है।
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अभ्यास प्रश्न 

नीचे दिए गए वाक्यों में सर्वनाम छाँटें और बतायें कि वे सर्वनाम के किस भेद के अन्तर्गत आते हैं?
(क) कोई चुटीली बात आ गई हँस पड़े।
उत्तर-
कोई-अनिश्चयवाचक सर्वनाम

(ख) इसे कौन न स्वीकार करेगा।
उत्तर-
कौन-प्रश्नवाचक सर्वनाम

(ग) इसकी पूर्ण शोभा काव्यकला प्रवीण विद्वमंडली में है।
उत्तर-
इसकी-निश्चयवाचक

(घ) वह प्रपंचात्मक संसार का एक बड़ा भारी आईना है।
उत्तर-
वह-निश्चयवाचक

(ङ) हम दो आदमी प्रेमपूर्वक संलाप कर रहे हैं।
उत्तर-
हम-पुरुषवाचक सर्वनाम।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द संज्ञा के किन भेदों के अन्तर्गत आते हैं धुआँ, आदमी, त्रिकोण, कान, शेक्सपीयर, देश मीटिंग, पत्र, संसार, मुर्गा, मन्दिर।
उत्तर-

    धुआँ – भाववाचक
    आदमी – जातिवाचक
    त्रिकोण – जातिवाचक
    कान – जातिवाचक
    शेक्सपीयर – व्यक्तिवाचक
    देश – जातिवाचक
    मीटिंग – समूहवाचक।
    पत्र – भाववाचक संसार
    संसार – जातिवाचक
    मुर्गा – जातिवाचक
    मन्दिर – जातिवाचक

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