परिभाषा :
जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय, उसे क्रिया कहते है।
जैसे- भागना ,सोना, पढ़ना, खाना, पीना, जाना आदि।
जिन शब्दों या पदों से यह पता चले की कोई कार्य हो रहा है या किया जा रहा है उसे क्रिया कहते हैं।
क्रिया विकारी शब्द है | क्योंकि इसका रूप लिंग, वचन और पुरुष के कारणबदलता है ।
वाक्य में क्रिया का बहुत महत्त्व होता है अगर कर्ता अथवा अन्य योजकों का प्रयोग न हुआ हो तब भी केवल क्रिया से ही वाक्य का अर्थ स्पष्ट हो जाता है; जैसे-
(1) इधर आओ।
(2) यहाँ बैठ जाओ।
(3) चले जाओ ।
4) सुनो!
धातु -
जिस मूल रूप से क्रिया को बनाया जाता है उसे धातु कहते है। यह क्रिया का ही एक रूप होता है। धातु को क्रिया का मूल रूप कहते हैं।
धातु में ना जोड़ने से हिंदी के क्रियापद बनते हैं-
जैसे -
लिख + ना = खाना
पढ़ + ना = पढ़ना
क्रिया के भेद
क्रिया के भेद जानने से पहले हमें कर्ता, कर्म और क्रिया को समझें ।
कर्ता – काम करने वाले को कर्ता कहते हैं।
कर्म – कर्ता जो काम करता है, उसे कर्म कहते हैं।
कर्म को जानने के लिए हम क्रिया पर “क्या”/ ”किसको” प्रश्न करते हैं।
राम पुस्तक पढ़ता है|
(कर्ता) (कर्म) (क्रिया)
================
१.कर्म के आधार पर क्रिया के २ भेद -
1. अकर्मक क्रिया
जिस वाक्य में क्रिया का प्रभाव या फल कर्ता पर पड़ता है क्योंकि कर्म प्रयुक्त नहीं होता उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं जैसे - लता गाती है।
2. सकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया के दो उपभेद किये जाते हैं –एक कर्मक क्रिया – जिस वाक्य में
क्रिया के साथ एक कर्म प्रयुक्त हो उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे
-लीना पढ़ रही है।
द्विकर्मक क्रिया – जिस वाक्य में क्रिया के साथ
दो कर्म प्रयुक्त हो उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – मोहन चाकू से
फल काट रहा है ।
२.रचना या संरचना के आधार पर क्रिया के भेद
संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद 5 हैं-
- संयुक्त क्रिया, हिंदी में क्रिया कभी एक पद द्वारा प्रकट होती है और कभी एक से अधिक पदों द्वारा।जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ आपस में मिलकर एक पूर्ण क्रिया बनाती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।जैसे-बच्चा सो रहा है।इस वाक्य में तीन क्रियाएँ हैं सो +रहा + है ,इस प्रकार एक से अधिक क्रिया होने तथा उसका संयुक्त रूप प्रयुक्त होने के कारण ये संयुक्त क्रियाएँ है।
- नामधातु क्रिया, संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों के अंत में प्रत्यय लगाकर जो क्रिया बनती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं।चिकनापन, फि़ल्माना,गरमाना,अपनाना
- प्रेरणार्थक क्रिया, जहाँ कर्ता अपना कार्य स्वयं न करके किसी अन्य को कार्य करने की प्रेरणा देता है, वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है।जैसे-मीना नौकरानी से धुलाई करवाती है।(मालकिन स्वयं धुलाई न करके नौकरानी से करवा रही है, अतः प्रेरणार्थक क्रियाहै.
- पूर्वकालिक क्रिया, (वह क्रिया जिसका पूरा होना दूसरी क्रिया से पूर्व पाया जाता है, उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं, अर्थात् मुख्य क्रिया से पहले होने वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। पूर्व आने वाली क्रिया मूल धातु के साथ ‘कर’ लगाकर बनती है।
जैसे -माली पौधे लगाकर चला गया ।
इस वाक्य में ‘चला गया ’से पहले ‘लगाकर ’क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः ये पूर्वकालिक क्रिया है। - कृदंत क्रिया -क्रिया शब्दों में जुड़ने वाले प्रत्यय कृत प्रत्यय कहलाते हैं तथा प्रत्यय के योग से बने शब्द कृदंत कहलाते हैं क्रिया शब्दों के अंत में प्रत्यय योग से बनी क्रिया कृदंत क्रिया कहलाती है क्रिया लिख , कृदंत क्रिया लिखना ,लिखता ,लिख कर
३. काल के आधार पर
- भूतकालिक क्रिया – क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा बीते समय में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है भूतकालिक क्रिया कहलाती है
- वर्तमान कालिक क्रिया – क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान समय में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है वर्तमान काल क्रिया कहलाती है
- भविष्यत कालिक क्रिया – क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा आने वाले समय में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है भविष्यत कालिक क्रिया कहते हैं
========================
इसके अतिरिक्त प्रयोग के आधार भी हम क्रिया के भेद कर सकते हैं -
वाक्य में क्रियाओं का प्रयोग कहाँ किया जा रहा है किस रूप में किया जा रहा है इसके आधार पर क्रिया के निम्न भेद होते हैं –
- सामान्य क्रिया
- संयुक्त क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- पूर्वकालिक क्रिया
- नाम धातु क्रिया
- कृदंत क्रिया
- सजातीय क्रिया
- सहायक क्रिया---------