अकेली /पूरी कहानी /मन्नू भण्डारी/Akeli -Hindi Story
‘
अकेली’ मन्नू भंडारी जी की रचना है।
कहानी में सोमा बुआ अकेली होने के कारण सबको अपना मान कर जीने वाली सबके दुख-सुख में सदा सहयोग देने के लिए तत्पर रहने वाली लाचार स्त्री है।
उनकी इसी लाचारी के कारण वे अपने पास-पड़ोस के लोगों द्वारा छली जाती हैं।
वे धन भी लुटाती हैं जी-तोड़ मेहनत भी करती हैं फिर भी लोगों से सम्मान नहीं पाती।
सोमा बुआ एक अकेली स्त्री है।
सोमा बुआ के पति सन्यासी हैं।
साल के ११ महीने वे बाहर रहते हैं, और एक महीने भर के लिए घर आते हैं।
सोमा बुआ के एक ही बेटा था वह भी अब जीवित न रहा।
बेटे के साथ पति की अनुपस्थिति में बुआ अपने जीवन में एकदम अकेली हो चुकी थी।
अपने इसी अकेलेपन को दूर करना चाहती है। इसलिए आस पड़ोस के घरों में शादी, मुंडन, छठी या फिर जनेऊ जैसे कार्यक्रमों में बिन बुलाये जाकर छाती फाड़कर काम करती है।
लोगों को अपना मानकर उनमें घुलने मिलने की कोशिश करती रहती। अपना सारा दुख भूल कर लोगों की खुशी में शामिल हो जाती।
सोमाबुआ के पास मृत पुत्र की एकमात्र निशानी अंगूठी थी।
जिसे बेचकर वे अपने किसी सम्बन्धी के एक कार्यक्रम में भाग लेने जाने की तैयारी करती हैं और बुलावे की प्रतीक्षा करती रहती हैं,जब उन्हें बुलावा नहीं आता तब बेहद निराश होती हैं.