Wednesday, June 1, 2022

Badal ko ghirte dekha hai/ Explanation /कवि नागार्जुन

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शब्दार्थ:
१. अमल-स्‍वच्‍छ
२. तुहिन- ओस
३. विसतंतु- कमल की नाल के भीतर स्‍थित कोमल रेशे या तंतु
४. विरहित- अलग
५. शैवाल- पानी के ऊपर उगने वाली घास, सेवार
६. अलख- जो दिखाई न दे
७. परिमल- सुगंध
८. किन्‍नर- स्‍वर्ग के गायक
९. धवल- श्‍वेत
१०. सुघड़- सुंदर
११. वेणी- चोटी
१२. त्रिपदी- तिपाई
१३. शोणित-रक्‍त
१४. कुंतल- बाल
१५. कुवलय- नील कमल



-   कवि का नाम नागार्जुन तथा कविता का नाम ‘बादल को घिरते देखा है’ है। कवि नागार्जुन आधुनिक काल की
    जनवादी काव्‍यधारा के प्रमुख कवि हैं।