'एक और जिन्दगी' कहानी में मोहन राकेश जी ने अपने ही जीवन की घटनाओं को शब्द दिए हैं ,ये उनकी अपनी कहानी है।जहाँ अंत तक वे 'एक और ज़िन्दगी ' की तलाश में रहते हैं ।
पहली पत्नी से सम्बन्ध विच्छेदन के बाद 'एक और जिन्दगी' की तलाश में कहानी का नायक प्रकाश अपनी अपने मित्र जुनेजा की बहन निर्मला से विवाह करके नयी ज़िन्दगी शुरू करता है लेकिन इस विवाह के बाद उसकी ज़िन्दगी पहले से भी बदतर हो गयी,यह प्रकाश के लिए 'एक और ही दुखमय ज़िंदगी' बनकर रह गयी।तब वह पहाड़ी स्थान पर सुकून की तलाश में आता जहाँ उसे पूर्व पत्नी और पुत्र मिलते हैं ,कुछ दिनों के लिए बेटे के साथ बिताये गए समय में वह 'एक और ज़िन्दगी' जीता है जो उसे ख़ुशी देती है।
उनके जाने के बाद उसकी निराशा और बढ़ जाती है इस तरह दो विवाहों की असफलता के बाद प्रकाश अन्दर ही अन्दर घुटकर रह गया है। बीयर की बोतलों में वह अपने अकेलेपन को दूर करने का प्रयत्न करता है।कहानी के अंत में प्रकाश का क्लब से बीयर पीकर भरी बरसात में सड़क पर निकल जाना उसकी हताश मगर आशावादी मानसिक स्थिति की ओर संकेत करता है ,लगता है प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वह 'एक और ज़िन्दगी ' की तलाश में निकल पड़ा हो! यही कहानी के शीर्षक की सार्थकता है ।