उच्चारण के समय की दृष्टि से स्वर के तीन भेद किए गए हैं –
ह्रस्व स्वर, दीर्घ स्वर एवं प्लुत स्वर।
उच्चारण के काल मान को मात्रा कहते हैं
ह्रस्व स्वर–
जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगता हैं/
सबसे कम समय में उच्चारित किया जाता है, उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं।
इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।
यह चार हैं- अ, इ, उ, ऋ।
हिंदी में मूल स्वर तीन माने जाते हैं : अ, इ, उ
दीर्घ स्वर-
वह स्वर जिनको बोलने में ह्रस्व स्वरों से अधिक समय लगता है/
जिन वर्णों पर अधिक जोर दिया जाता है, वे दीर्घ कहलाते हैं, और उनकी मात्रा 2 होती है ।
{या कहें जिस स्वर के उच्चारण मे दो मात्राएँ लगती है}
जैसे- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
प्लुत स्वर-
प्लुत का अर्थ हैं ‘ उछला हुआ .
संस्कृत में स्वरों का यह तीसरा भेद भी माना जाता है हिन्दी में इसका प्रयोग नहीं होता ।
प्लुत वर्णों का उच्चार अतिदीर्घ होता है, और उनकी मात्रा 3 होती है जैसे कि, “ओम”
.................................
छन्द शास्त्र में ह्रस्व और दीर्घ के लिये के लिये क्रमशः लघु और गुरु शब्द का प्रयोग होता है ।
लघु , गुरु एवं प्लुत के संकेत-चिह्न :
लघु गुरु प्लुत
। S 3
============================================
ह्रस्व स्वर, दीर्घ स्वर एवं प्लुत स्वर।
उच्चारण के काल मान को मात्रा कहते हैं
ह्रस्व स्वर–
जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगता हैं/
सबसे कम समय में उच्चारित किया जाता है, उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं।
इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।
यह चार हैं- अ, इ, उ, ऋ।
हिंदी में मूल स्वर तीन माने जाते हैं : अ, इ, उ
दीर्घ स्वर-
वह स्वर जिनको बोलने में ह्रस्व स्वरों से अधिक समय लगता है/
जिन वर्णों पर अधिक जोर दिया जाता है, वे दीर्घ कहलाते हैं, और उनकी मात्रा 2 होती है ।
{या कहें जिस स्वर के उच्चारण मे दो मात्राएँ लगती है}
जैसे- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
प्लुत स्वर-
प्लुत का अर्थ हैं ‘ उछला हुआ .
संस्कृत में स्वरों का यह तीसरा भेद भी माना जाता है हिन्दी में इसका प्रयोग नहीं होता ।
प्लुत वर्णों का उच्चार अतिदीर्घ होता है, और उनकी मात्रा 3 होती है जैसे कि, “ओम”
.................................
छन्द शास्त्र में ह्रस्व और दीर्घ के लिये के लिये क्रमशः लघु और गुरु शब्द का प्रयोग होता है ।
लघु , गुरु एवं प्लुत के संकेत-चिह्न :
लघु गुरु प्लुत
। S 3
============================================