Sunday, November 8, 2020

अल्पप्राण और महाप्राण /Alp Pran aur Maha Pran


वायु को संस्कृत में 'प्राण' कहते हैं ।

1.       अल्पप्राण –

 कम हवा से उच्चरित ध्वनि ‘अल्पप्राण’ कही जाती है । 


  • प्रत्येक वर्ग का पहला , तीसरा और पाँचवाँ वर्ण अल्पप्राण है ।
  •  सभी स्वर अल्पप्राण हैं ।
  • क, च, ट, त, प ।   ग, ज, ड, द, ब, ।   


2.       महाप्राण – 

अधिक हवा से उत्पन्न  ध्वनि ‘महाप्राण’ कही जाती है ।

  • प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण महाप्राण है ।  
  •  ख, छ, ठ, थ, फ ।घ, झ, ढ, ध, भ । 
  •  इसमें विसर्ग की तरह ‘ह’ की ध्वनि सुनाई पड़ती है । 
  • सभी ऊष्म  वर्ण महाप्राण हैं । 
3. अनुनासिक [अल्पप्राण]

स्पर्श वर्णों में प्रत्येक वर्ग का अंतिम यानी पाँचवाँ वर्ण नासिका से बोला जाता है , ये अनुनासिक कहलाते हैं। 

  ङ, ञ, ण, न, म

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