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- नंबरदार – गाँव का भूस्वामी;
- मरम्मत – ठीक करना;
- निर्बल – बलहीन, कमज़ोर;
- वैद्यक ग्रंथ – चिकित्सा सम्बन्धी पुस्तक;
- निर्वाह – निभानेवाला;
- बहरी – बाज जैसा एक शिकारी पक्षी;
- शिकरे – बाज से छोटा एक शिकारी पक्षी;
- रीझ – प्रसन्न होना;
- टीमटाम – श्रृंगार, सजावट;
- भावज – भाई की पत्नी, भाभी;
- फिकायत – बचत करना;
- तिनक – चिढ़ना, गुस्सा होना;
- ढिठाई – दुस्साहस;
- उजड्ड – गवार, असभ्य;
- खड़ाऊँ – काठ की बनी खूटीदार पादुका;
- सुधि – ध्यान रहना;
- शऊर – तरीका, ढंग;
- दब्बू – दबकर रहनेवाला;
- हथकंडा – षड्यंत्र;
- घुड़का – डाँटना;
- मुगदर – व्यायाम के लिए लकड़ी की बनी मुंगरी;
- खरल – दवा कूटने के पत्थर की कँडी।
उत्तर:
‘बड़े घर की बेटी’ कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचन्द हैं।
इस काहनी के माध्यम से लेखक ने स्पष्ट किया है कि किसी भी घर में पारिवारिक शांति और सामंजस्य बनाए रखने में घर की स्त्रियों की अहम् भूमिका होती है। घर की स्त्रियों अपनी समझदारी से टूटते और बिखरते परिवारों को भी जोड़ सकती है। साथ की लेखक ने संयुक्त परिवारों की उपयोगिता को भी इस कहानी के माध्यम से सिद्ध किया है।
आनंदी के पिता का नाम लिखिए।
उत्तर:
आनंदी के पिता का नाम भूपसिंह था।
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उत्तर:बेनी माधवसिंह के पिता ने गाँव में मन्दिर, पक्का तालाब आदि बनवाये थे।
उत्तर:
बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के ज़मीनदार थे।
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उत्तर:
ठाकुर साहब के दो बेटे थे।
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बेनीमाधव सिंह अपनी आधी से अधिक संपत्ति किसे भेंट के रूप में दे चुके थे?
उत्तर:
बेनीमाधव सिंह अपनी आधी से अधिक संपत्ति वकीलों को भेंट कर चुके थे।
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ठाकुर साहब के बड़े बेटे का नाम क्या था?
उत्तर:
ठाकर साहब के बड़े बेटे का नाम श्रीकंठ सिंह था।
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श्रीकंठ कब घर आया करते थे?
उत्तर:
श्रीकंठ सिंह शनिवार को घर आया करते थे।
उत्तर:
लालबिहारी सिंह ने थाली उठाकर पलट दी।
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गौरीपुर गाँव के जमीनदार कौन थे?
उत्तर:
बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के जमीनदार थे।
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किसकी आँखें लाल हो गयी थी?
उत्तर:
श्रीकंठ की आँखे लाल हो गयी थीं।
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बिगड़ता हुआ काम कौन बना लेती हैं?
उत्तर:
बड़े घर की बेटियाँ बिगड़ता हुआ काम बना लेती हैं।
उत्तर:
ठाकुर साहब के छोटे बेटे का नाम लाल बिहारी सिंह था।
उत्तर:
श्रीकंठ सिंह का ब्याह आनंदी के साथ हो गया।
उत्तर:
मुगदर की जोड़ी श्रीकंठ ने बनवा दी थी।
उत्तर:
बुद्धिमान लोग मूर्खों की बातों पर ध्यान नहीं देते।
उत्तर:
आनंदी स्वभाव से ही दयावती थी।
आनंदी ने अपने ससुराल में क्या रंग-ढंग देखा?
उत्तर:
आनंदी एक बड़े घर की बेटी थी। वह अपने घर में सभी सुख-सुविधाओं में पली थी। वे सारी सुख-सुविधाएँ यहाँ ससुराल में नहीं थीं। यहाँ न तो बाग-बगीचे थे, न मकान में खिड़की और जमीन पर फर्श। फिर भी आनंदी ने कुछ ही दिनों में अपने आपको इस घर के अनुकूल बना लिया।
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लालबिहारी आनंदी पर क्यों बिगड़ पड़ा?
उत्तर:
एक दिन लालबिहारी सिंह ने माँस पकाने के लिए कहा। आनंदी ने माँस पकाते समय हाँड़ी में जो घी था, वह सब डाल दिया। जब लालबिहारी ने दाल में घी डालने के लिए कहा, तो आनंदी ने कहा कि माँस पकाने में घी खत्म हो गया। इसी कारण लालबिहारी आनंदी पर बिगड़ गया।
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आनंदी बिगड़ता हुआ काम कैसे बना लेती है?
उत्तर:
श्रीकंठ सिंह के छोटे भाई लालबिहारी सिंह के अभद्र व्यवहार से आनंदी क्रोधित हो जाती है। गुस्से में उसने अपने पति से सारी शिकायतें कीं। झगड़ा इतना बढ़ गया कि घर टूटने तक पहुँच गया। तब बिखरते हुए घर को देखकर आनंदी शांत हो जाती है और लालबिहारी को घर छोड़कर जाने से रोक लेती है। इस प्रकार आनंदी बिगड़ते काम को बना लेती है।
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आनंदी का ब्याह श्रीकंठ सिंह के साथ कैसे हो गया?
उत्तर:
भूपसिंह अपनी चौथी लड़की आनंदी के लिए विवाह देख रहे थे। तभी एक दिन श्रीकंठ सिंह उनके पास नागरी-प्रचार का चंदे का रूपया माँगने आये। भूपसिंह उनके स्वभाव पर रीझ गए और धूमधाम से श्रीकंठ सिंह का आनंदी के साथ ब्याह हो गया।
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बेनी माधव ने आनंदी को बड़े घर की बेटी क्यों कहा?
आनंदी का देवर जब घर छोड़कर जाने लगा तो स्वयं आनंदी ने आगे बढ़कर अपने देवर को रोक लिया और अपने किए पर पश्चाताप करने लगी। आनंदी ने अपने अपमान को भूलकर दोनों भाइयों में सुलह करवा दी थी। अत: बिगड़े हुए काम को बना देने के कारण बेनी माधव ने आनंदी को बड़े घर की बेटी कहा
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इस कहानी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि यदि हम उदार हैं, दूसरों के प्रति सहृदय हैं तो बड़ी-से-बड़ी विपत्ति भी दूर हो जाती है। आज के संयुक्त परिवारों को टूटने से बचाने वाली यह कहानी शिक्षाप्रद है। इस कहानी की नायिका अपने देवर के अभद्र व्यवहार से बहुत दु:खी होती है पर देवर द्वारा सच्चे हृदय से माफी माँगने पर वह उसे क्षमा कर देती है तथा जब वह घर छोड़ने की बात कहता है तो अपनी सौगन्ध देकर तथा उसका हाथ पकड़कर रोक लेती है। ऐसा करके वह टूटते परिवार को बचा लेती है।
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किस घटना ने आनन्दी के हृदय को परिवर्तित कर दिया? विवरण सहित लिखिए।
उत्तर:
श्रीकंठ के मुख से यह बात सुनकर कि अब मैं लालबिहारी की सूरत नहीं देखना चाहता। लालबिहारी तिलमिला गया तथा कपड़े पहनकर आनन्दी के द्वार पर आकर बोला-“भाभी, भैया ने निश्चय किया है कि वह मेरे साथ इस घर में न रहेंगे। अब वह मेरा मुँह नहीं देखना चाहते, इसलिए अब मैं जाता हूँ। उन्हें फिर मुँह न दिखाऊँगा। मुझसे जो कुछ अपराध हुआ, उसे क्षमा करना।” लालबिहारी की इस बात से आनन्दी का हृदय परिवर्तित हो गया वह अपने कमरे से निकली और लालबिहारी का हाथ पकड़ लिया और कहा “तुम्हें मेरी सौगंध, अब एक पग भी आगे न बढ़ाना” बाद में श्रीकंठ का हृदय भी पिघल गया और दोनों भाई गले लगकर फूट-फूटकर रोए। इस प्रकार आनन्दी ने अपने उदार हृदय से टूटते हुए घर को बचा लिया।
निम्नलिखित शब्द-युग्मों से पुनरुक्त और विलोम शब्द युग्म छाँटकर लिखिए।
गरम-गरम, फूट-फूट, साथ-साथ, अच्छा-बुरा, सुख-दुख, दिन-रात।
उत्तर:
पुनरुक्त शब्द – गरम-गरम, फूट-फूट, साथ-साथ।
विलोम शब्द – अच्छा-बुरा, सुख-दुख, दिन-रात।