Tuesday, June 22, 2021

चार दिशाएँ (कविता)/ बचपन में पढ़ी कविता

 

चार दिशाएँ (कविता)
 
उगता सूरज जिधर सामने
उधर खड़े हो मुँह करके तुम
ठीक सामने पूरब होता
और पीठ पीछे है पश्चिम
बायीं और दिशा उत्तर की
दायीं और तुम्हारे दक्षिण
चार दिशाएँ होती हैं यों
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण
— अज्ञात