Friday, April 19, 2019

निर्वासित- डॉ.सूर्यबाला/मंदाकिनी /कक्षा-१२




मंदाकिनी /कक्षा-१२ / पाठ-3  निर्वासित-

डॉ.सूर्यबाला

कथाकार सूर्यबाला का पहला कहानी-संग्रह 'एक इंद्रधनुष: जुबेदा के नाम'है.

जन्म =२५ अक्टूबर , ११४३ (वाराणसी)।

 शिक्षा : एमए., पी-एचडी., (काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी)।

समकालीन कथा साहित्य में सूर्यबाला का लेखन अपनी विशिष्ट भूमिका और महत्त्व रखता है।

 समाज, जीवन, परंपरा, आधुनिकता एवं उनसे जुड़ी समस्याओं को लेखिका  एक खुली, मुक्त और नितांत अपनी दृष्टि से देखने की कोशिश करती हैं।

 प्रकाशित कृतियाँ : 'मेरे संधि-पत्र', 'सुबह के इंतजार तक', 'अग्निपंखी', 'यामिनी-कथा', 'दीक्षांत' (उपन्यास);'एक इंद्रधनुष', 'दिशाहीन', 'थाली भर चाँद', 'मुंडेर पर', 'गृह-प्रवेश', 'साँझवाती', 'कात्यायनी संवाद', 'इक्कीस कहानियों', 'पांच लंबी कहानियाँ', 'सिस्टर! प्लीज आप जाना नहीं', 'मानुस-गंध' (कथा-संग्रह); 'अजगर करे न चाकरी', 'धृतराष्ट्र टाइम्स', 'देशसेवा के अखाड़े में' (हास्य-व्यंग्य); 'झगड़ा निपयरक दफ्तर' ( बालोपयोगी)।

टी.वी. धारावाहिकों के माध्यम से अनेक कहानियों, उपन्यासों तथा हास्य-व्यंग्यपरक रचनाओं का रूपांतर प्रस्तुत, जिनमें 'पलाश के फूल', 'न किन्नी न', 'सौदागर', 'एक इंद्रधनुष: जुबेदा के नाम', 'सबको पता है', 'रेस', 'निर्वासित' आदि प्रमुख हैं।



सम्मान : प्रियदर्शिनी पुरस्कार, घनश्याम दास सराफ़ पुरस्कार



 [१९७२ में पहली कहानी सारिका में प्रकाशित।]

संपर्क सूत्र : suryabala.lal@gmail.com