Monday, April 1, 2019

पिता (कहानी )ज्ञानरंजन जी/Pita(the father) story by Gyanranjan



*लेखक की प्रतिनिधि कहानियों में से एक है,इस कहानी में गर्मी बेचैनी के प्रतीक के रूप में उभरी है। यह कहानी पिता -विरोधी कहानी नहीं है क्योंकि इस में पारिवारिक नींव के रूप में रक्षक पिता की भूमिका का भी उल्लेख किया है .
पिता-पुत्र के सम्बन्धों में द्वंद्व की सृष्टि पुत्र द्वारा पिता के लिए सुविधाएँ जुटाने के प्रयासों के प्रति पिता की उदासीनता और अरुचि से होती है और यहीं आकर कहानी की अंतर्वस्तु खुलती है ,दो पीढ़ियों के मध्य टकराव के साथ ही उन बीच के भावनात्मक लगाव को काहनी साथ ले कर चलती है यही इस कहानी की बड़ी विशेषता है ।