Wednesday, March 11, 2020

निर्मला पुतुल -आओ, मिलकर बचाएँ Explanation Class 11 Aaroh ncert आरोह

 आओ, मिलकर बचाएँ

-निर्मला पुतुल
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Class 11 Hindi Core Playlist


कविता 'आओ, मिलकर बचाएँ' में आदिवासी समाज के स्वरूप एवं समस्याओं पर लिखा  गया है।  

  आओ, मिलकर बचाएँ
अपनी बस्तियों को
नंगी होने से
शहर की आबो-हवा से बचाएं उसे
बचाएं डूबने से
पूरी की पूरी बस्ती को
हडिया में
अपने चेहरे पर
संथाल परगना की माटी का रंग
भाषा में झारखंडीपन
ठंडी होती दिनचर्या में
जीवन की गर्माहट
मन का हरापन
भोलापन दिल का
अक्खड्प्न, जुझारूपन भी
भीतर की आग
धनुष की डोरी
तीर का नुकीलापन
कुल्हाड़ी की धार
जंगल की ताज़ा हवा
नदियों की निर्मलता
पहाड़ों का मौन
गीतों की धुन
मिट्टी का सौंधापन
फसलों की लह्लाहट
नाचने के लिए खुला आँगन
गाने के लिए गीत
हँसने के लिए थोड़ी-सी खिलखिलाहट
रोने के लिए मुट्ठी भर एकांत
बच्चों के लिए मैदान
पशुओं के लिए हरी-हरी घास
बूढों के लिए पहाड़ों की शांति
और इस अविश्वास-भरे दौर में
थोडा-स विश्वास
थोड़ी-सी उम्मीद
थोड़े-से सपने

आओ, मिलकर बचाएँ
कि इस दौर में भी बचाने को
बहुत कुछ बचा है,
अब भी हमारे पास!


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कविता का मूल स्वर है-प्रकृति के विनाश और विस्थापन के कारण आदिवासी समाज पर आया संकट।
मुख्य भाव :आज के इस अविश्वास भरे दौर में अभी भी आपसी विश्वास, उम्मीदें और सपनों  को सामूहिक प्रयासों से बचाया जा सकता है।
कवयित्री ने इस कविता में समाज में उन चीजों को बचाने की बात कही है जिनका होना स्वस्थ सामाजिक-प्राकृतिक परिवेश के लिए बहुत आवश्यक है।  आदिवासी समाज के परिवेश को बचाए रखना और शहरी प्रभाव से मुक्त रखना चाहती है। वह झारखंडी स्वरूप की रक्षा चाहती है। संथाली समाज के ठंडेपन को दूर करना और उनमें उत्साह का संचार करना कवयित्री का लक्ष्य है। वहाँ के प्राकृतिक वातावरण के प्रति भी अपनी चिंता जाहिर करती है। वहाँ का राग-रंग उसकी नस-नस में समाया है, अत: इसके लिए उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता महसूस करती है। कवयित्री आशावादी है, अत: बचे हुए स्वरूप में भी वह बहुत देख लेती है।

प्रश्न -उत्तर
  • माटी का रंग प्रयोग करते हुए किस बात की ओर संकेत किया गया है?
  • कवयित्री ने संथाल क्षेत्र के लोगों की मूल पहचान की ओर संकेत किया है।वह  अपनी संस्कृति को बचाने का प्रयास करती है।
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  • भाषी में झारखंडीपन से क्या अभिप्राय है?
  • भाषी में झारखंडीपन से अभिप्राय अपनी स्थानीय भाषा को संभाले रखना है।  
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  • दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?
  •  दिल के भोलेपन' में सहजता, सच्चाई और ईमानदारी का है। 'अक्खड़पन और जूझारूपन शब्दों से आशय बस्ती के लोगों के दृढ़ निश्चय और संघर्षशीलता है।   
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  • बस्तियों को शहर की किस आबो-हवा से बचाने की आवश्यकता है?
  •  आदिवासी बस्तियों  को शहरी अपसंस्कृति के प्रभाव से   एवं कृत्रिम दिनचर्या से बचाकर रखने की आवश्यकता है।
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  • आप अपने शहर या बस्ती की किन चीज़ों को बचाना चाहेंगे?
  • आदिवासी समाज की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करें।