Wednesday, October 18, 2017

Surdas ke pad Class 10 Hindi/सूरदास के पद/ Explanation/ प्रश्न उत्तर




१.ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।...गुर चाँटी ज्यौं पागी।
२.मन की मन ही माँझ रही।
३.हमारैं हरि हारिल की लकरी।
४.हरि हैं राजनीति पढ़ि आए।
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With Explanation & Imp Q-Ans
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"मरजादा न लही" आशय स्पष्ट कीजिए!
कृष्ण के विरह में डूबी गोपियों ने 'मरजादा न लही' के माध्यम से कृष्ण पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने प्रेम की मर्यादा का पालन नहीं किया।क्योंकि उन्होंने स्वयं न आकर योग का संदेश देने के लिए उद्धव को भेज दिया था । [कृष्ण की ओर से संबंधों की मर्यादा न रखी जाने की बात कही जा रही है।
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 गोपियों की मन की क्या बात / कौन-सी मन की बात मन में ही रह गई?
गोपियाँ अपने मन की वेदना श्रीकृष्ण को सुनाना चाहती थीं, लेकिन निर्गुण ज्ञान के संदेश को सुनकर वे कुछ न कर पाईं।
कृष्ण के विरह से उनके मन में जो पीड़ा पैदा हुई थी , उससे सम्बन्धी बातें उन के मन में ही रह गई।


Book Solutions for Class 10th: 
पाठ 1- सूरदास के  पद  क्षितिज भाग-हिंदी 
प्रश्न अभ्यास 

1. गोपियों द्वारा उद्धव को 'भाग्यवान' कहने में क्या व्यंग्य निहित है?

उत्तर-गोपियों द्वारा उद्धव को 'भाग्यवान' कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यशाली न होकर बहुत ही भाग्यहीन हैं।वे निर्गुण उपासक हैं और कृष्ण के पास 
रहते हुए भी उनके सौन्दर्य तथा प्रेम-रस के आनंद से वंचित हैं। वे मन के प्रेम की सुखद अनुभूति को नहीं समझ सकते
एक तरह से उद्धव को 'भाग्यवान' बताना उसका उपहास उड़ाना था।
2.
उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?

उत्तर--गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की है -

(1)पहली तुलना कमल के पत्ते से की है जिस तरह यह पत्ता  नदी के पानी में रहते हुए भी ऊपरी सतह पर ही रहता है।वह पत्ता चिकना होता है,जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। इसी तरह उद्धव भी श्री कृष्ण के पास रहकर  भी उनके प्रभाव से दूर हैं।
(2)दूसरा :
 वे तेल के घड़े (मटके)के समान  हैं, जिस पर पानी  की एक बूँद भी टिक नहीं पाती। क्योंकि वह भी  चिकना होता है 
। उद्धव भी ऐसे ही चिकने घड़े की तरह हैं जिनपर पर श्री कृष्ण का प्रेम रूपी जल ठहर नहीं पाया  अर्थात  प्रभाव नहीं छोड़ पाया है,जो ज्ञानियों की तरह बातें  कर रहे हैं।
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3.
गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

उत्तर
१. कमल के पत्ते, तेल की मटकी और प्रेम की नदी के उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं। वे कहती हैं कि वे कृष्ण के साथ रहते हुए भी प्रेमरूपी नदी में उतरे ही नहीं, अर्थात साक्षात प्रेमस्वरूप श्रीकृष्ण के पास रहकर भी वे उनके प्रेम से दूर  हैं ।
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4. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

उत्तर--गोपियाँ कृष्ण के लौटने की आशा में उनकी प्रतीक्षा कर  रही थीं। वे अपने विरह-दुःख को चुपचाप सहती हुई कृष्ण के प्रेम  में डूबी हुई थीं। लेकिन कृष्ण ने आने की बजाय योग का संदेश देकर  उद्धव को भेज दिया। विरह की अग्नि में जलती हुई गोपियों को जब उद्धव ने योग-साधना करने का उपदेश देना शुरू किया, तब गोपियों की विरह वेदना और भी बढ़ गयी । इस प्रकार उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने 
गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम किया 
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5. '
मरजादा न लही' के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

उत्तर--'मरजादा न लही' के माध्यम से प्रेम की मर्यादा न रहने की बात कही  है। कृष्ण के मथुरा चले जाने पर गोपियाँ उनके विरह में दुखी  थीं। कृष्ण से मिलने पर ही उनकी विरह-वेदना मिट सकती थी,लेकिन 
वापस लौटने का वचन देकर भी वे गोपियों से मिलने नहीं आए। बल्कि उन्होंने उद्धव को योग संदेश देकर भेज दिया कि वे कृष्ण के प्रेम को भुला दें और योग-साधना  करें । प्रेम के बदले प्रेम का प्रतिदान ही प्रेम की मर्यादा है,लेकिन कृष्ण ने प्रेम की वह मर्यादा नहीं रखी । 
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6. 
कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है ?  

उत्तर-
गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को हारिल पक्षी के उदाहरण के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। वे स्वयं को  हारिल पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की तरह बताती हैं । जिस प्रकार हारिल पक्षी सदैव अपने पंजे में कोई लकड़ी अथवा तिनका पकड़े रहता है, उसे किसी भी दशा में नहीं छोड़ता। उसी प्रकार गोपियों ने भी मन, कर्म और वचन से कृष्ण को अपने मन  में सदा के लिए दृढ़तापूर्वक बसा लिया है। वे जागते, सोते स्वप्नावस्था में, दिन-रात कान्हा-कान्हा की ही रट लगाती रहती हैं। और  गोपियों ने अपनी तुलना उन चीटियों के साथ भी की  है जो गुड़ (श्रीकृष्ण भक्ति) पर आसक्त होकर उससे चिपक जाती हैं  और फिर खुद को छुड़ा नहीं पातीं और वहीँ अपनी जान दे देती  हैं।

7. 
गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है ?

उत्तर---गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है जिनका मन चकरी की तरह घूमता रहता है अर्थात चंचल है,इधर-उधर भटकता है। उद्धव अपने योग के संदेश में मन की एकाग्रता का उपदेश देतें हैं, परन्तु गोपियों कहती हैं उनका मन तो अपने प्रिय कृष्ण  के प्रेम में पहले से ही एकाग्र है इसलिए  उनके लिए ये 
 योग-साधना की बातें  निरर्थक हैं । योग-उपदेश तो उनके लिए ज़रूरी  है जिनका मन स्थिर नहीं हो पाता
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8.
प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

उत्तर-प्रस्तुत पदों में गोपियों द्वारा योग साधना के ज्ञान को निरर्थक बताया गया है। उनके अनुसार 
यह ज्ञान उनके लिए तो बहुत ही  अव्यावहारिक  और अनुपयुक्त है। वे इसे कड़वी ककड़ी कहती हैं जिसे खाना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी ने गोपियों के माध्यम से आगे कहते हैं कि यह तो ऐसा रोग है  जिसके बारे में तो उन्होंने पहले कभी न सुना है और न देखा है। इसलिए उन्हें यह  ज्ञान नहीं चाहिए । उनका मन तो अपने प्रिय कृष्ण  के प्रेम में पहले से ही एकाग्र है इसलिए  उनके लिए ये  योग-साधना की बातें  निरर्थक हैं । योग-उपदेश तो उनके लिए ज़रूरी  है जिनका मन स्थिर नहीं हो पाता 
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9. 
गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ?

उत्तर--गोपियों के अनुसार राजा का धर्म अपनी प्रजा का ख्याल रखन है और  हर तरह से रक्षा करना है
। उसे नीति से राजधर्म का पालन करना चाहिए । एक राजा तभी अच्छा राजा कहलाता है जब वह अनीति  का साथ न देकर नीति का साथ दे।
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10. 
गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन सा परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं ?

उत्तर--१.
कृष्ण ने अब राजनीति सिख ली है। उनकी बुद्धि पहले से भी अधिक चतुर हो गयी है। पहले वे प्रेम का बदला प्रेम से चुकाते थे, परंतु अब प्रेम की मर्यादा भूलकर योग का संदेश देने लगे हैं। 
२.कृष्ण पहले दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित रहते थे, परंतु अब स्वार्थी हो गए हैं। वे उनको विरह-दुःख  से मुक्ति दिलाना नहीं चाहते । 
३.श्रीकृष्ण ने गोपियों से मिलने आने के बजाय योग की  शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिया है । श्रीकृष्ण के इस कदम से गोपियों के मन बहुत दुखी  हुआ है। 
कृष्ण में आये इन्हीं परिवर्तनों को देखकर गोपियाँ श्रीकृष्ण सेव अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं

11.
गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?

उत्तर--
गोपियों के वाक्चातुर्य की विशेषताएँ इस प्रकार है -
(1)तानों द्वारा  - गोपियाँ उद्धव को ऐसे ऐसे ताने देती हैं कि उसके पास उनका कोई जवाब नहीं होता। यहाँ तक कि वे कृष्ण तक को ताना  दे डालती हैं। 
(2)
तर्क क्षमता  - गोपियों ने अपनी हर बात तर्क के साथ कही है। वे उसकी हर बात का तर्क के साथ उत्तर देकर उसे  निरुत्तर कर देती हैं।
(3)
व्यंग्यात्मकता  -वे 
अपने व्यंग्य बाणों के तीखे प्रहारों से 'निर्गुण उपासना' के सन्देशवाहक  उद्धव को घायल कर देती हैं। उद्धव को भाग्यवान कहकर  उसका उपहास उड़ाती हैं ।

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DEEPTI MISHRA 1 hour ago
Mam can you explain the meaning of 2nd line in fourth paragraph..you have not explained it clear....and the meaning of maghukar is black bee which u don't have included in ur explanation

Alpana replies :
हरि हैं राजनीति पढि आए
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
(मधुकर शाब्दिक अर्थ में  भँवरे को कहते हैं लेकिन यहाँ गोपियाँ उद्धव को  मधुकर यानि काला भ्रमर कह कर उस पर  कटाक्ष करती हैं।)
वे कहती हैं कि कृष्ण तो किसी राजनीतिज्ञ की तरह हो गये हैं। (हमारा  हाल जानने के लिए )जो खुद न आकर मधुकर अर्थात उद्धव को भेज दिया है ताकि वहाँ बैठे-बैठे ही हमारा अर्थात गोपियों का सारा हाल जान लें ।
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*इस पंक्ति का अन्य अर्थ  यह है : गोपियाँ आपस में कहती हैं कि कृष्ण ने राजनीति सीख ली हैI यह भंवरा हमसे जो बात कह रहा है क्या वह तुम्हें समझ आई ? क्या तुम्हें कुछ समाचार मिला ? परन्तु आप मेरे दिए पहले अर्थ को सटीक मान सकते हैं और उसी को  परीक्षा में लिखें.
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Rajarshi Agarwal 1 month ago (edited)

DOUBT Maam pehle pad mein jo tel ki gagri wali line hai uska arth aapnai aur meri mom ne bataya wo hai ki jo tel ka ghada hota hai use agar pani mai daal de to bhi us par pani ki ek boond nahi ther ti, par mere paas ek book hai ------usme likha hai ki jal se bhari matki mai padi veh tel ki boondh jispar paani ka prabhav nahi hota

जिस प्रकार जल की मटकी में तेल की बून्द, अपने ऊपर जल का प्रभाव नही आने देती है|  this is written in book so what is correct. Please
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Ans- Alpana Verma अल्पना वर्मा 1 month agoज्यों जल माँह तेल की गागरि,बूँद न ताकौं लागी । पंक्ति का अर्थ 'जिस प्रकार तेल की गगरी को जल में भिगोने पर उस पर  पानी की एक भी बूँद नहीं ठहर पाती' सही होगा...क्योंकि तेल की गगरी इतनी चिकनी होती है कि उस पर पानी ठहरता नहीं है.  हर शब्द का एक एक अर्थ भीआप देखें तब भी ये ही अर्थ सही होगा.आपकी मम्मी ने भी सही अर्थ बताया है...आजकल तेल 'गगरी' में रखे नहीं जाते तो लोगों को मालूम नहीं कि ऐसा कुछ होता होगा.Guide में सब कुछ सही लिखा हो ,ज़रूरी नहीं है इसलिए ध्यान से पढ़िए और समझिए.बोर्ड परीक्षा में यही अर्थ  लिखिए जो मैंने बताया है.

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