रीढ़ की हड्डी -Reedh ki haddi एकांकी -
Summary-Class 9 Hindi -kritika
प्रस्तुत एकांकी 'रीढ़ की हड्डी' श्री जगदीश चन्द्र माथुर द्वारा रचित है। यह एकांकी लड़की के विवाह की एक सामाजिक समस्या पर आधरित है।
पात्र परिचय. -
उमा : लड़की. रामस्वरूप : लड़की का पिता. प्रेमा : लड़की की माँ. शंकर : लड़का. गोपालप्रसाद : लड़के का बाप. रतन : नौकर.
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एकांकी का उद्देश्य
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हमारे समाज की विडंबनाओं को दिखाना इस एकांकी का मुख्य उद्देश्य है ।इसके अलावा औरतों की दशा को सुधारना व उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना है। लड़कियों के विवाह में आने वाली समस्या को समाज के सामने लाना,स्त्री -शिक्षा के प्रति दोहरी मानसिकता रखने वालों को बेनकाब करना,
स्त्री को भी अपने विचार व्यक्त करने की आज़ादी देना। बेटियों के विवाह के समय माता-पिता की परेशानियों को बताना ।स्त्री को उसके व्यक्तित्व की रक्षा करने का संदेश भी यह एकांकी देता है
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रीढ़ की हड्डी के प्रश्न उत्तर
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1: रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था ...” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर: ऐसा अक्सर देखा जाता है कि एक विशेष उम्र के लोग अपने जमाने की खूबियों को याद करके नये जमाने को कोसते रहते हैं। उनकी बातें सुनना अच्छा लग सकता है लेकिन दो ज़माने की इस तरह से तुलना करना किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं है। क्योंकि समय बदलता रहता और समय के साथ परिस्थितियाँ भी बदलती हैं। हर जमाने के अपने मूल्य और जीवन जीने के अपने तरीके होते हैं । जिस तरह से तकनिकी बदलाव हुए हैं हम देखें तो आधुनिक जमाना बीते हुए जमाने की तुलना में प्रगतिशील ही है।
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2: रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर: रामस्वरूप की बेटी की उम्र विवाह लायक हो चुकी है। भारतीय परंपरा के हिसाब से उन्हें जल्दी से कोई योग्य वर देखकर अपनी बेटी का विवाह तय करना है। नाटक जिस समय और परिस्थितों को बता रहा है उसके अनुसार ,तत्कालीन समय में लड़कियों का अधिक पढ़ा- लिखा होना अच्छी बात नहीं मानी जाती थी।इस वजह से रामस्वरूप को अपनी बेटी के लिए योग्य वर तलाशने में कठिनाई हो रही थी ।वह विवश हो जाता है कि अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को विवाह के लिए छिपा दे ।
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3: अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर: हमारे समाज में विवाह हेतु ,जब बड़े बुजुर्गों द्वारा रिश्ते परंपरागत तरीके से तय किये जाते हैं तो वर पक्ष को कुछ अधिक ही अधिकार प्राप्त होते हैं। लड़के वाले हर तरीके से ठोक बजाकर लड़की को जाँचते परखते हैं। यह बात किसी भी स्वाभिमानी लड़की को नापसंद हो सकती है। उस पर , यह आशा की जाती है कि लड़के से कोई भी सवाल न पूछा जाये।जबकि हर व्यक्ति को इस बात का अधिकार होना चाहिए कि उसकी शादी ठीक होते वक्त उसकी बात भी सुनी जाये।अब येही बात महिलाओं के सम्मान और अधिकारों का हनन करती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित नहीं है।
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4: गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर: गोपाल प्रसाद के लिए रिश्तों और व्यक्तियों का कोई महत्व नहीं है।इसलिए हम उनको अपराधी कहेंगे, रामस्वरूप भी एक अपराधी हैं क्योंकि वे समाज के दबाव में आकर एक पाप कर रहे हैं। गोपाल प्रसाद को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि उनके बेटे का वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा।वहीँ रामस्वरूप किसी तरह से अपनी बेटी की शादी कर देना चाहते हैं।
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5: “... आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं ...” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर: शंकर पिटा के सामने किसी आज्ञाकारी बालक की तरह चुपचाप बैठा है। उसमें स्वाभिमान की सख्त कमी है।उसके लिए उसकी अपनी इच्छा का कोई मतलब नहीं है। यह बात उसके यह मान लेने से पता चलती है कि वह इस बात से आश्वस्त नहीं है कि उसकी पढ़ाई कब पूरी होगी। उसे अपनी होने वाली पत्नी के व्यक्तित्व को जानने में भी कोई रुचि नहीं है।इस स्वाभिमान को ही लड़के की रीढ़ की हड्डी कहा गया है .
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6: शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की – समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:शंकर अपने पिता की कमाई पर ऐश करना जानता है,उसके जैसे लड़के समाज पर बोझ सिद्ध होते हैं। जबकि उमा में आत्मसम्मान कूट-कूट कर भरा है। वह बाहरी दिखावे का विरोध करती है। आज इस समाज को उमा जैसी लड़की की बहुत जरूरत है।
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7: ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस नाटक में दो मुख्य पात्र हैं; उमा और शंकर। दोनों का व्यक्तित्व एक- दूसरे के विपरीत हैं। एक ओर उमा स्वाभिमानी है तो दूसरी ओर शंकर पास स्वाभिमान की कमी है। यहाँ पर ‘रीढ़ की हड्डी’ उसी स्वाभिमान का सूचक है। इसलिए यह शीर्षक इस नाटक के लिए सटीक है।
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8: कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर: इस नाटक के ज्यादातर संवाद रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद के हैं लेकिन पूरा नाटक उमा पर केन्द्रित है।नाटक में शुरु की सारी तैयारी उमा की शादी तय करने के लिए होती दिखाई गयी है। नाटक का अंत उमा के मुखर विरोध से होता है। इसलिए हम कह सकते हैं किउमा ही इस नाटक की मुख्य पात्र है।
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9: एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: रामस्वरूप आधुनिक खयाल के व्यक्ति हैं लेकिन वे जमाने से समझौता करने को भी तैयार रहते हैं। उनके द्वारा उमा की पढ़ाई को प्रोत्साहित करना उनके आधुनिक खयालों को दर्शाता है। लेकिन उमा की शादी के लिए कुछ समझौते करना समाज के सामने उनकी मजबूरी को दिखाता है। गोपाल प्रसाद बड़े धूर्त लगते हैं; क्योंकि वे शादी को भी व्यापार समझते हैं। वे उस पुरुष प्रधान समाज के प्रतिनिधि हैं जिसमें स्त्रियों के लिए कोई स्थान नहीं है।
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10: इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर: इस एकांकी का उद्देश्य है -
१.समाज की विडंबनाओं को दिखाना। एक ओर समाज आगे बढ़ने की इच्छा रखता है तो दूसरी ओर समाज के रीती-रिवाजों की बेड़ियाँ उसे आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं। लेकिन हम जानते हैं , हर काल में हर समाज में कुछ ऐसे बहादुर और स्वाभिमानी लोग आगे आते हैं जो पुरानी बेड़ियों को तोड़ने की कोशिश करते हैं और सफल भी होते हैं ।
२.औरतों की दशा को सुधारना व उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना।
३. लड़कियों के विवाह में आने वाली समस्या को समाज के सामने लाना।
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11: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु कई प्रयास किये जा सकते हैं,जैसे - महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहन देना।कहते हैं यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तोआप उसके पूरे परिवार और समाज को शिक्षित करते हैं। इसके अलावा आज महिलाओं के प्रति पुरुषों का दृष्टिकोण बदलने की भी जरूरत है,जिसके लिए पुरुषों को शिक्षित करना और उन्हें समझाना होगा ।
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Summary-Class 9 Hindi -kritika
प्रस्तुत एकांकी 'रीढ़ की हड्डी' श्री जगदीश चन्द्र माथुर द्वारा रचित है। यह एकांकी लड़की के विवाह की एक सामाजिक समस्या पर आधरित है।
पात्र परिचय. -
उमा : लड़की. रामस्वरूप : लड़की का पिता. प्रेमा : लड़की की माँ. शंकर : लड़का. गोपालप्रसाद : लड़के का बाप. रतन : नौकर.
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एकांकी का उद्देश्य
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हमारे समाज की विडंबनाओं को दिखाना इस एकांकी का मुख्य उद्देश्य है ।इसके अलावा औरतों की दशा को सुधारना व उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना है। लड़कियों के विवाह में आने वाली समस्या को समाज के सामने लाना,स्त्री -शिक्षा के प्रति दोहरी मानसिकता रखने वालों को बेनकाब करना,
स्त्री को भी अपने विचार व्यक्त करने की आज़ादी देना। बेटियों के विवाह के समय माता-पिता की परेशानियों को बताना ।स्त्री को उसके व्यक्तित्व की रक्षा करने का संदेश भी यह एकांकी देता है
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रीढ़ की हड्डी के प्रश्न उत्तर
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1: रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था ...” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर: ऐसा अक्सर देखा जाता है कि एक विशेष उम्र के लोग अपने जमाने की खूबियों को याद करके नये जमाने को कोसते रहते हैं। उनकी बातें सुनना अच्छा लग सकता है लेकिन दो ज़माने की इस तरह से तुलना करना किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं है। क्योंकि समय बदलता रहता और समय के साथ परिस्थितियाँ भी बदलती हैं। हर जमाने के अपने मूल्य और जीवन जीने के अपने तरीके होते हैं । जिस तरह से तकनिकी बदलाव हुए हैं हम देखें तो आधुनिक जमाना बीते हुए जमाने की तुलना में प्रगतिशील ही है।
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2: रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर: रामस्वरूप की बेटी की उम्र विवाह लायक हो चुकी है। भारतीय परंपरा के हिसाब से उन्हें जल्दी से कोई योग्य वर देखकर अपनी बेटी का विवाह तय करना है। नाटक जिस समय और परिस्थितों को बता रहा है उसके अनुसार ,तत्कालीन समय में लड़कियों का अधिक पढ़ा- लिखा होना अच्छी बात नहीं मानी जाती थी।इस वजह से रामस्वरूप को अपनी बेटी के लिए योग्य वर तलाशने में कठिनाई हो रही थी ।वह विवश हो जाता है कि अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को विवाह के लिए छिपा दे ।
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3: अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर: हमारे समाज में विवाह हेतु ,जब बड़े बुजुर्गों द्वारा रिश्ते परंपरागत तरीके से तय किये जाते हैं तो वर पक्ष को कुछ अधिक ही अधिकार प्राप्त होते हैं। लड़के वाले हर तरीके से ठोक बजाकर लड़की को जाँचते परखते हैं। यह बात किसी भी स्वाभिमानी लड़की को नापसंद हो सकती है। उस पर , यह आशा की जाती है कि लड़के से कोई भी सवाल न पूछा जाये।जबकि हर व्यक्ति को इस बात का अधिकार होना चाहिए कि उसकी शादी ठीक होते वक्त उसकी बात भी सुनी जाये।अब येही बात महिलाओं के सम्मान और अधिकारों का हनन करती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित नहीं है।
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4: गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर: गोपाल प्रसाद के लिए रिश्तों और व्यक्तियों का कोई महत्व नहीं है।इसलिए हम उनको अपराधी कहेंगे, रामस्वरूप भी एक अपराधी हैं क्योंकि वे समाज के दबाव में आकर एक पाप कर रहे हैं। गोपाल प्रसाद को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि उनके बेटे का वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा।वहीँ रामस्वरूप किसी तरह से अपनी बेटी की शादी कर देना चाहते हैं।
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5: “... आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं ...” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर: शंकर पिटा के सामने किसी आज्ञाकारी बालक की तरह चुपचाप बैठा है। उसमें स्वाभिमान की सख्त कमी है।उसके लिए उसकी अपनी इच्छा का कोई मतलब नहीं है। यह बात उसके यह मान लेने से पता चलती है कि वह इस बात से आश्वस्त नहीं है कि उसकी पढ़ाई कब पूरी होगी। उसे अपनी होने वाली पत्नी के व्यक्तित्व को जानने में भी कोई रुचि नहीं है।इस स्वाभिमान को ही लड़के की रीढ़ की हड्डी कहा गया है .
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6: शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की – समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:शंकर अपने पिता की कमाई पर ऐश करना जानता है,उसके जैसे लड़के समाज पर बोझ सिद्ध होते हैं। जबकि उमा में आत्मसम्मान कूट-कूट कर भरा है। वह बाहरी दिखावे का विरोध करती है। आज इस समाज को उमा जैसी लड़की की बहुत जरूरत है।
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7: ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस नाटक में दो मुख्य पात्र हैं; उमा और शंकर। दोनों का व्यक्तित्व एक- दूसरे के विपरीत हैं। एक ओर उमा स्वाभिमानी है तो दूसरी ओर शंकर पास स्वाभिमान की कमी है। यहाँ पर ‘रीढ़ की हड्डी’ उसी स्वाभिमान का सूचक है। इसलिए यह शीर्षक इस नाटक के लिए सटीक है।
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8: कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर: इस नाटक के ज्यादातर संवाद रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद के हैं लेकिन पूरा नाटक उमा पर केन्द्रित है।नाटक में शुरु की सारी तैयारी उमा की शादी तय करने के लिए होती दिखाई गयी है। नाटक का अंत उमा के मुखर विरोध से होता है। इसलिए हम कह सकते हैं किउमा ही इस नाटक की मुख्य पात्र है।
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9: एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: रामस्वरूप आधुनिक खयाल के व्यक्ति हैं लेकिन वे जमाने से समझौता करने को भी तैयार रहते हैं। उनके द्वारा उमा की पढ़ाई को प्रोत्साहित करना उनके आधुनिक खयालों को दर्शाता है। लेकिन उमा की शादी के लिए कुछ समझौते करना समाज के सामने उनकी मजबूरी को दिखाता है। गोपाल प्रसाद बड़े धूर्त लगते हैं; क्योंकि वे शादी को भी व्यापार समझते हैं। वे उस पुरुष प्रधान समाज के प्रतिनिधि हैं जिसमें स्त्रियों के लिए कोई स्थान नहीं है।
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10: इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर: इस एकांकी का उद्देश्य है -
१.समाज की विडंबनाओं को दिखाना। एक ओर समाज आगे बढ़ने की इच्छा रखता है तो दूसरी ओर समाज के रीती-रिवाजों की बेड़ियाँ उसे आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं। लेकिन हम जानते हैं , हर काल में हर समाज में कुछ ऐसे बहादुर और स्वाभिमानी लोग आगे आते हैं जो पुरानी बेड़ियों को तोड़ने की कोशिश करते हैं और सफल भी होते हैं ।
२.औरतों की दशा को सुधारना व उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना।
३. लड़कियों के विवाह में आने वाली समस्या को समाज के सामने लाना।
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11: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु कई प्रयास किये जा सकते हैं,जैसे - महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहन देना।कहते हैं यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तोआप उसके पूरे परिवार और समाज को शिक्षित करते हैं। इसके अलावा आज महिलाओं के प्रति पुरुषों का दृष्टिकोण बदलने की भी जरूरत है,जिसके लिए पुरुषों को शिक्षित करना और उन्हें समझाना होगा ।
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