Friday, October 20, 2017

L-9-Kabeer -Saakhiyan-साखियाँ Explanation -Class 9 A क्षितिज /प्रश्न उत्तर

================================== Sabad
= ============== मानसरोवर सुभग जल हंसा केलि कराहि
मुकताफल मुकता चुगै अब उड़ी अनत न जाही।
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  • साखी दोहा छंद
     सहज और सरल  सधुक्कड़ी भाषा है
    केलि कराही में क वर्ण और मुकताफल मुकता' में म वर्ण की आवृति के कारण अनुप्रास अलंकार है /
  • पूरे दोहे में 'रूपक' अलंकार है।

प्रेमी ढ़ूँढ़त मैं फिरौ प्रेमी मिले न कोई
प्रेमी कौं प्रेमी मिले सब विष अमृत होई।
साखी दोहा छंद
 सहज और सरल  सधुक्कड़ी भाषा है 

दूसरी पंक्ति में रूपकातिशयोक्ति अलंकार है

(यह अलंकार क्या है ?अतिशयोक्ति अलंकार का एक भेद जिसमें वर्णन रूपक की तरह होता है परंतु केवल उपमान का उल्लेख करके उपमेय का स्वरूप उपस्थित किया जाता है।)



हस्ती चढ़िये ज्ञान कौं सहज दुलीचा डारी
स्वान रूप संसार है भूंकन दे झख मारि।
रूपक    अलंकार

पखापखी के कारने सब जग रहा भुलान
निरपख होई के हरी भजै, सोई संत सुजान।

सोई संत सुजानमें अनुप्रास अलंकार

हिंदू मूया राम कही मुसलमान खुदाई
कहे कबीर सो जीवता जे दुहूँ के निकटि जाई।

काबा फिरि कासी भया रामहि भया रहीम
मोट चून मैदा भया रहा कबीरा जीम।

उँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होई
सुबरन कलस सुरा भरा, साधु निंदा सोई।

सबद

मोकों कहाँ ढ़ूँढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में।
ना मैं देवल ना मैं मस्जिद, ना काबे कैलास में।
ना तो कौने क्रिया कर्म में, नहीं योग बैराग में।
खोजी होय तो तुरतहि मिलियो, पल भर की तालास में।
कहे कबीर सुनो भाई साधो, सब स्वांसो की स्वांस में।
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२. संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे।( सीबीएसई पाठ्यक्रम में नहीं है २०२१ )
भ्रम की टाटी सबै उड़ाँनी, माया रहै न बाँधी॥
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडाँ फूटा।
जोग जुगति काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी॥
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
कहै कबीर भाँन के प्रगटे उदित भया तम खीनाँ॥
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प्रश्न -उत्तर
  • ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?
  • उत्तर: यहाँ पर ‘मानसरोवर’ से आशय यह संसार है जिसके मोह में  आदमी बंधा रहता है और सांसारिक  सुख को न छोड़ने के लोभ में वहाँ से निकलना ही नहीं चाहता है।
  • कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?
  • उत्तर:  भक्त को सच्चा प्रेमी कहा गया है। एक सच्चे प्रेमी की तरह एक भक्त भी बिना कुछ पाने की लालसा लिये अपने आराध्य की आराधना करता है। सच्चे प्रेमी की तरह अपने प्रेम में पूरी तरह समर्पित रहता है।
  • तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार से ज्ञान को महत्व दिया है?
  • उत्तर: कवि का मानना है कि ज्ञान मिलना बहुत ही कठिन होता है क्योंकि अक्सर लोग सही ज्ञान को पहचान ही नहीं पाते हैं। यहाँज्ञान को किसी दूर की कौड़ी की तरह बताया गया है।
  • इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
  • उत्तर: सच्चा संत वही होता है जो पक्षपात से दूर होता है। वह निष्पक्ष होकर अपने काम में तल्लीन होता है।
  • अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?
  • उत्तर: इन दोहों में कवि ने धर्म की संकीर्ण परिभाषा की ओर संकेत किया है। कवि का मानना है कि भले ही धर्म अलग-अलग हों लेकिन सबका लक्ष्य ईश्वर से मिलन' होता है ।
  • किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
  • उत्तर: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से नहीं बल्कि उसके कर्मों से होती है। इतिहास में ऐसे कई उदाहरणहैं जिनमें किसी गरीब परिवार में जन्मे व्यक्ति ने अपने अच्छे कर्मों से अपना नाम किया है। दूसरी ओर ऐसे भी उदाहरण हैं जहाँ किसी राजपुत्र ने अपने गलत कर्मों की वजह से अपने राजवंश का नाश  किया है।
  • मनुष्य ईश्वर को कहाँ कहाँ ढ़ूँढ़ता फिरता है?
  • उत्तर: मनुष्य ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, मजार, चर्च, गुरुद्वारा, मजार और तीर्थस्थानों में ढ़ूँढ़ता फिरता है।
  • कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
  • उत्तर: कबीर ने ईश्वर के प्राप्ति के कई प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। कवि ने बताया है कि मंदिर, मस्जिद या तीर्थस्थलों पर जाने से कुछ नहीं मिलता। कवि ने यह भी बताया है कि बिना मतलब के आडंबरों या पूजा पाठ से कुछ भी हासिल नहीं होता।
  • कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
  • उत्तर: ज्ञान का आगमन उस क्षणिक अवसर की तरह होता है जो तेजी से आता है और उतनी ही तेजी से हमसे बहुत दूर चला जाता है। सामान्य हवा तो हमेशा हमारे चारों ओर व्याप्त रहती है। लेकिन आँधी तेजी से आती है और उतनी ही तेजी से चली जाती है। इसलिए कबीत ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से की है।
  • ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  • उत्तर: जब आँधी आती है,वह अपने साथ बहुत चीजों को उड़ा ले जाती है और कई चीजों को तहस नहस कर देती है। इसी तरह से जब ज्ञान की आँधी आती है तो वह हमारे अंदर कई बड़े परिवर्तन कर देती है।
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