Friday, October 20, 2017

L-13/Gram Shree/ग्राम श्री /Explanation /Class 9 A


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 फैली खेतों में दूर तलक,
मखमल की कोमल हरियाली,
लिपटी जिससे रवि की किरणें
चांदी की सी उजली जाली।
तिनके के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भूतल पर झुका हुआ
नभ का चिर निर्मल नील फलक।
रोमांचित सी लगती वसुधा
आई जौ गेहूं में बाली,
अरहर सनई की सोने की
किंकिनियाँ हैं शोभाशाली।
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध
फूली सरसों पीली पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही
नीलम की कली, तीसी नीली।
रंग रंग के फूलों में रिलमिल
हंस रहीं सखियाँ मटर खड़ी,
मखमली पेटियों सी लटकी
छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी।
फिरती है रंग रंग की तितली
रंग रंग के फूलों पर सुंदर,
फूले फिरते ही फूल स्वयं
उड़ उड़ वृंतों से वृंतों पर
अब रजत स्वर्ण मंजरियों से
लद गई आम्र तरु की डाली
झर रहे ढ़ाक, पीपल के दल
हो उठी कोकिला मतवाली।
महके कटहल, मुकुलित जामुन
जंगल में झरबेरी झूली,
फूले आड़ू, नीम्बू, दारिम
आलू, गोभी, बैगन, मूली।
पीले मीठे अमरूदों में
अब लाल लाल चित्तियाँ पड़ीं
पक गये सुनहरे मधुर बेर
अंवली से तरु की डाल जड़ी
लहलह पालक, महमह धनिया
लौकी औ सेम फलीं फैलीं।
मखमली टमाटर हुए लाल
मिरचों की बड़ी हरी थैली।
बालू के सांपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
सुंदर लगती सरपट छाई
तट पर तरबूजों की खेती
अंगुली की कंघी से बगुले
कलगी संवारते हैं कोई
तिरते जल में सुरखाब, पुलिन पर
मगरौठी रहती है सोई।
हंसमुख हरियाली हिम आतप
सुख से अलसाए से सोये,
भीगी अंधियाली में निशि की
तारक स्वप्नों में से खोये।
मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम
जिस पर नीलम नभ आच्छादन
निरुपम हिमांत में स्निग्ध शांत
निज शोभा से हरता जन मन।
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