practicality and idealistict ka mtlb samjh nahi aya maam
आदर्शवादी व्यक्ति के जीवन में कथनी व करनी में अंतर नहीं होता,वे सत्य का अनुसरण करते हैं .अपने आदर्शों पर चलते हैं,अपना हित नहीं बल्कि दूसरों का हित सोचते हैं.उनके जीवन में इसी वजह से मुश्किलें आती रहती हैं.
व्यावहारिक जो समय और अवसर के अनुसार चलता है और उसका अपना स्वार्थ उसके लिए पहले होता है,जैसे एक व्यापारी,वह कमाने के लिए गलत काम करने /धोखा देने आदि से भी नहीं चूकता.ऐसे में अक्सर वह समाज से अलग -थलग हो जाता है.इसलिए व्यक्ति को दोनों के बीच का रास्ता अपनाने का सुझाव लेखक ने दिया है.जैसे गांधी जी ने अपनाया था..आदर्श और व्यावहारिकता दोनों को मिला कर जीवन जिया
apne rule ya dusron ke rules ki baat yahan nahin hai..गांधी जी ने सत्य/ईमानदारी/ सदाचार आदि आदर्शों का पालन किया लेकिन नमक का कानून तोड़कर व्यावहारिकता का उदाहरण भी दिया.आदर्श शाश्वत मूल्य हैं,व्यावहारिकता हम अपनी परिस्थितियों के अनुसार अपनाते हैं ,जैसे गिरगिट पाठ में इन्स्पेक्टर आचुमेलोव था..पूरी तरह व्यावहारिक..स्वार्थी..चापलूस...जबकि भगवान् राम/बुद्ध आदर्शवादी थे ...उन्होंने अपना हित नहीं सोचा सदा सत्य का अनुसरण किया उसमें उनका अपना पारिवारिक जीवन दुखों से घिरा रहा.
Adarsh or vhavaharikta kya hai Bohut confuse hora hu ma'am 😧😧
Alpana Verma अल्पना वर्मा
आदर्श शाश्वत मूल्य हैं ,आदर्शवादी व्यक्ति के जीवन में कथनी व करनी में अंतर नहीं होता,वे सत्य का अनुसरण करते हैं .अपने आदर्शों पर चलते हैं,अपना हित नहीं बल्कि दूसरों का हित सोचते हैं.उनके जीवन में इसी वजह से मुश्किलें आती रहती हैं.व्यवहारिक लोग परिस्थिति के अनुसार अपने स्वार्थ के लिए बदलते रहते हैं जैसे गिरगिट पाठ में इंस्पेक्टर था.