Friday, June 7, 2019

अपठित काव्यांश-वंदना के इन स्वरों में

1) अपठित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दें ।


वंदना के इन स्वरों में,
एक स्वर मेरा मिला लो |
बंदिनी माँ को न भूलो,
राग में जब मत झूलो;
अर्चना के रत्नकण में, ।
एक कण मेरा मिला लो |


जब हृदय का तार बोले,
शृंखला के बंध खोले,
हों जहाँ बलि शीश अगणित,
एक सिर मेरा मिला लो |


क) कवि औरों के स्वर में अपना स्वर क्यों मिलाना चाहते हैं?
ख) कवि मौज-मस्ती के दौरान भी क्या याद रखने को कह रहे हैं?
ग) 'शृंखला के बंध खोले' का आशय स्पष्ट कीजिए।​


क) कवि औरों के स्वर में अपना स्वर  मिलाना चाहता है क्योंकि वह भी अपनी मातृभूमि से प्रेम करता है और उसकी स्वतंत्रता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना चाहता है .


ख) कवि मौज-मस्ती के दौरान भी यह  याद रखने को कह रहे हैं कि भारत माँ अभी स्वतंत्र नहीं है और उसे अंग्रेजों से  मुक्ति दिलानी है .


ग) 'शृंखला के बंध खोले' का आशय है - स्वतंत्रता प्राप्त करना ।​

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Answers-

१.कवयित्री अपने इष्ट देव को प्रिय कहते हुए उनका अभिनन्दन कर रही है .

२.अश्रु जल का  (आंसुओं का  )

३.अपने हृदय को मंदिर कहा जिसमें 'प्रिय' के लिए दीपक जलता रहता है .

४.. प्रसन्नता से भरे उनके रोम -रोम को 'अक्षत ' और प्रिय [परमात्मा ]से  विरह के  मधुर दुःख को 'चन्दन' कहा है
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