Tuesday, July 30, 2019

अवतार सिंह पाश - सबसे खतरनाक Aaroh 1 NCERT

सबसे खतरनाक

-अवतार सिंह पाश

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विशेष-

भाषा व्यंजना प्रधान है/सांकेतिक भाषा।
मुक्त छंद /खड़ी बोली है/उर्दू शब्दावली का प्रयोग
संवेदनशून्यता पर गहरा व्यंग्य ।
 ‘जमी बर्फ’, ‘मुहब्बत से चूमना’, ‘अंधेपन की भाप’, ‘रोजमर्रा के क्रम को पीती’ आदि नए भाषिक प्रयोग
 ‘अंधेपन की भाप’/आत्मा का सूरज /‘जिस्म के पूरब’ में रूपक अलंकार
 गीत का मानवीकरण
‘मिचों की तरह’, ‘गुंडों की तरह’ में उपमा अलंकार
‘जुगनू की लौ’ से साधनहीनता/

मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गद्दारी, लोभ की मुट्ठी
सबसे ख़तरनाक नहीं होती


सबसे ख़तरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
ना होना तड़प का
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौट कर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना

सबसे खतरनाक वो आँखें होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है..
जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीज़ों से उठती अन्धेपन कि भाप पर ढुलक जाती है
जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है
सबसे ख़तरनाक वो दिशा होती है
जिसमे आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके ज़िस्म के पूरब में चुभ जाए
[यह कविता पंजाबी भाषा से अनूदित]
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  •  कवि पाश का मूल नाम अवतार सिंह संधू है। इनका जन्म 1950 ई. में पंजाब राज्य के जालंधर जिले के तलवंडी सलेम गाँव में हुआ।
  • अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया और सिआड़, हेमज्योति, हॉक, एंटी-47 जैसी पत्रिकाओं का संपादन किया। 
  •  कुछ समय तक अमेरिका में रहे। 
  •  मृत्यु 1988 ई. में हुई।
  • इनकी रचनाएँ -
    लौह कथा, उड़दें बाजां मगर, साडै। समिया बिच, लड़ेंगे साथी (पंजाबी); बीच का रास्ता नहीं होता, लहू है कि तब भी गाता है (हिंदी अनुवाद)।