Wednesday, July 24, 2019

शब्द शक्ति

'शब्दार्थ सम्बन्धः शक्ति। '
शब्द एवं अर्थ का सम्बन्ध ही शब्द शक्ति है।

शब्द के अर्थ बोध कराने वाली शक्ति 'शब्द शक्ति' कहलाती है।

शब्द या शब्द समूह में जो अर्थ छिपा होता है, उसका बोध  कराने वाली शक्ति का नाम 'शब्द शक्ति' है ।

शब्द से अर्थ का बोध होता है और शब्द को 'बोधक' (बोध करानेवाला) और अर्थ को 'बोध्य' (जिसका बोध कराया जाये) कहा जाता है ।

 शब्द-शक्ति को संक्षेप में 'शक्ति' कहते हैं। इसे 'वृत्ति' या 'व्यापार' भी कहा जाता है।

सरल शब्दों में 'शब्द सुनकर जो समझ में आवे वह उसका अर्थ है। 
 
अर्थ तीन प्रकार के होते हैं- वाच्यार्थ, लक्ष्यार्थ एवं व्यंग्यार्थ ।

  •  वाच्यार्थ कथित होता है,
  • लक्ष्यार्थ लक्षित होता है,
  • और व्यंग्यार्थ व्यंजित, ध्वनित, सूचित या प्रतीत होता है।


 शब्द-शक्ति  तीन प्रकार की हैं-

  • अभिधा (Literal Sense Of a Word)जिस शक्ति के माध्यम से शब्द का साक्षात् या मुख्यार्थ का बोध हो, उसे 'अभिधा' कहते हैं।

  • लक्षणा (Figurative Sense Of a Word)-जहाँ शब्दों के मुख्य अर्थ को बाधित कर परम्परा या लक्षणों के आधार पर अन्य अर्थ को ग्रहण किया जाता है,  उसे 'लक्षणा' कहते हैं।
लक्षणा के दो भेद हैं-
(1) रूढ़ा लक्षणा- जहाँ रूढ़ि के कारण मुख्यार्थ से भिन्न लक्ष्यार्थ का बोध हो, वहाँ 'रूढ़ा लक्षणा' होती है।
(2) प्रयोजनवती लक्षणा- जहाँ प्रयोजन के कारण मुख्यार्थ से भिन्न लक्ष्यार्थ का बोध हो, वहाँ 'प्रयोजनवती लक्षणा' होती है।

  • व्यंजना (Suggestive Sense Of a Word)-काव्य सौंदर्य के बोध में व्यंजना शब्द-शक्ति कामहत्त्वपूर्ण स्थान है। व्यंजना शब्द-शक्ति काव्य में अर्थ की गहराई, सघनता और विस्तार लाती  है।

    अभिधा व लक्षणा के असमर्थ हो जाने पर जिस शक्ति के माध्यम से शब्द का अर्थ बोध हो, उसे 'व्यंजना' शब्द-शक्ति कहते हैं।

    'व्यंजना' (वि + अंजना) शब्द का अर्थ है- 'विशेष प्रकार का अंजन' ।

  • भेद
    (1) शाब्दी व्यंजना- शब्द पर आधारित व्यंजना को 'शाब्दी व्यंजना' कहते है।
    (2)आर्थी व्यंजना- अर्थ पर आधारित व्यंजना को 'आर्थी व्यंजना' कहते हैं।


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