Wednesday, July 3, 2019

छंद /Chhand

छंद /Chhand 



  • छंद शब्द 'चद्' धातु से बना है जिसका अर्थ है 'आह्लादित करना', 'खुश करना'।

  • छंद का सर्वप्रथम उल्लेख 'ऋग्वेद' में मिलता है। 
  • पद्य का  नियामक 'छंद शास्त्र' है।

  • छन्द कविता या गीत में वर्णों की संख्या और स्थान से सम्बंधित नियमों को कहते हैं जिनसे काव्य में लय और रंजकता आती है।
  •  छोटी-बड़ी ध्वनियां, लघु-गुरु उच्चारणों के क्रमों में, मात्रा बताती हैं ।

  • जब किसी काव्य रचना में ये एक व्यवस्था के साथ सामंजस्य प्राप्त करती हैं तब उसे एक शास्त्रीय नाम दे दिया जाता है ।
  • लघु-गुरु मात्राओं के अनुसार वर्णों की यह व्यवस्था एक विशेष  नाम वाला छन्द कहलाने लगती है, जैसे चौपाई, दोहा, आर्या, इन्द्र्वज्रा, गायत्री छन्द आदि । 


 छंद की परिभाषा =
वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो तो उसे छंद कहते हैं।
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छंद के अंग:

 कुल सात अंग होते हैं--------

  1. चरण/ पद/ पाद
  2. वर्ण और मात्रा
  3. संख्या और क्रम
  4. गण
  5. गति
  6. यति/ विराम
  7. तुक

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