छंद /Chhand
छंद की परिभाषा =
छंद के अंग:
कुल सात अंग होते हैं--------
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- छंद शब्द 'चद्' धातु से बना है जिसका अर्थ है 'आह्लादित करना', 'खुश करना'।
- छंद का सर्वप्रथम उल्लेख 'ऋग्वेद' में मिलता है।
- पद्य का नियामक 'छंद शास्त्र' है।
- छन्द कविता या गीत में वर्णों की संख्या और स्थान से सम्बंधित नियमों को कहते हैं जिनसे काव्य में लय और रंजकता आती है।
- छोटी-बड़ी ध्वनियां, लघु-गुरु उच्चारणों के क्रमों में, मात्रा बताती हैं ।
- जब किसी काव्य रचना में ये एक व्यवस्था के साथ सामंजस्य प्राप्त करती हैं तब उसे एक शास्त्रीय नाम दे दिया जाता है ।
- लघु-गुरु मात्राओं के अनुसार वर्णों की यह व्यवस्था एक विशेष नाम वाला छन्द कहलाने लगती है, जैसे चौपाई, दोहा, आर्या, इन्द्र्वज्रा, गायत्री छन्द आदि ।
छंद की परिभाषा =
वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो तो उसे छंद कहते हैं।===========================
छंद के अंग:
कुल सात अंग होते हैं--------
- चरण/ पद/ पाद
- वर्ण और मात्रा
- संख्या और क्रम
- गण
- गति
- यति/ विराम
- तुक
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